उपेंद्र कुशवाहा वाले प्रकरण को लेकर जेडीयू अब दो धड़ों में बंटती हुई दिख रही है। एक ओर ऐसे नेता है जो नीतीश कुमार के साथ हैं। वही दूसरी ओर ऐसे भी नेता निकल कर सामने आ रहे हैं जो खुलकर उपेंद्र कुशवाहा के समर्थन में उतर गए हैं। जब से उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू में अपने हिस्से की मांग कि है तभी से जेडीयू कोटे के मंत्री उनपर हमलावर है। इसी कड़ी में मंत्री अशोक चौधरी ने उपेंद्र कुशवाहा को लेकर कहा था कि वो हिस्सेदार नहीं किराएदार हैं। उनके इस बयान को लेकर जेडीयू एमएलसी रामेश्वर महतो, उपेंद्र कुशवाहा के बचाव में उतर गए हैं। उन्होंने मंत्री अशोक चौधरी पर करारा हमला किया है। जिसके बाद से जेडीयू के दो फाड़ होने की आशंका गहरा गई है।
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“कुशवाहा के बारे में टिप्पणी करना ठीक नहीं”
दरअसल मंत्री अशोक चौधरी के बयान पर जेडीयू एमएलसी रामेश्वर महतो ने पलटवार किया है। उन्होंने एक लंबा पोस्ट लिखकर अपने सोशल मीडिया हैंडल से शेयर किया है। जिसमें उन्होंने मंत्री अशोक चौधरी को हवा में ना उड़ने की नसीहत भी दी है। उन्होंने लिखा कि “माननीय मंत्री अशोक चौधरी जी मैं आपका सम्मान करता हूं क्योंकि आप हम सब के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार जी के कैबिनेट के अंग हैं। लेकिन 26 जनवरी को जो आपने जनता दल यूनाइटेड के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बारे में टिप्पणी कि वह ठीक नहीं है।आप ही के व्यवहार के कारण पासी समाज जनता दल यूनाइटेड का विरोधी हो गया है और अब जदयू को वोट नहीं देता है। जहां तक कुशवाहा समाज की बात है कुशवाहा समाज माननीय नेता नीतीश कुमार जी के साथ था और आज भी पूरी ताकत से खड़ा है।”
“बंद कीजिए हवा में उड़ना, जमीन पर आइए”
उन्होंने आगे लिखा कि “गरीबों की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में आप कॉरपोरेट कल्चर के कैदी हैं माननीय मंत्री अशोक चौधरी जी। आपके लिए हम सबों के नेता नीतीश कुमार जी का दरवाजा हमेशा खुला रहता है। लेकिन, आपका अपना दरवाजा हम गरीबों, पिछड़ो, अति पिछड़ों, दलितों, शोषितो और वंचितो के लिए क्यों बंद रहता है? अशोक जी, मुझे बहुत खुशी हुई जब मुझ जैसा पिछड़ा समाज के बेटे को माननीय मुख्यमंत्री जी ने सम्मान दिया और एमएलसी बनाया। लेकिन, मेरा सर शर्म से झुक जाता है जब आपकी चौखट से आपके गेटकीपर के द्वारा दर्जनों बार लौटा दिया जाता है और आपसे मिलने नहीं दिया जाता है।यह कैसा समाजवाद है आपका? आपने हम सबों के नेता माननीय नीतीश कुमार जी से क्या सीखा? बंद कीजिए हवा में उड़ना, जमीन पर आइए साहब।”