पिछले दिनों जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी (KC Tyagi) ने प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद से कई अटकले लगाई जा रही कि उनके बयानों से पार्टी असहज हो रही थी, इसलिए उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन अब केसी त्यागी खुलकर कई मुद्दों पर अपनी बात रख रहे हैं। केसी त्यागी ने इस बात को खारिज कर दिया कि इजराइल-हमास युद्ध और वरिष्ठ सरकारी पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ जैसे मुद्दों पर उनके बयानों से उनकी पार्टी के कई सहयोगी असहज थे। उन्होंने कहा कि उनके लिए जद (यू) का मतलब नीतीश कुमार हैं जो पार्टी के अध्यक्ष भी हैं।
जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद केसी त्यागी ने कहा कि उनका रुख हमेशा पार्टी की विचारधारा के अनुरूप रहा। इसके साथ ही उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरा भरोसा जताया। पांच दशक से अधिक समय से समाजवादी राजनीति में सक्रिय त्यागी ने कहा, ‘‘मैं जेडीयू में केवल नीतीश कुमार के लिए हूं। वह मेरे मित्र और नेता हैं. (सिर्फ) उनकी चिंताएं मेरे लिए मायने रखती हैं।’ उन्होंने कहा कि वह जेडीयू कभी नहीं छोड़ेंगे और नीतीश कुमार को छोड़ना उनके स्वभाव में नहीं है।
केसी त्यागी ने कहा कि वह लंबे समय से नीतीश कुमार से उन्हें प्रवक्ता पद से मुक्त करने के लिए कह रहे थे, और पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें राजनीतिक सलाहकार के रूप में अपने पद पर बने रहने को कहा। उन्होंने कहा कि ‘लेटरल एंट्री’ का उनका विरोध समाजवादी राजनीति के अनुरूप था और फलस्तीन के लिए समर्थन भारत की ऐतिहासिक स्थिति को दर्शाता है। त्यागी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के एकमात्र नेता थे जिन्होंने कुछ विपक्षी सांसदों और अन्य लोगों के साथ एक बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें उन्होंने फलस्तीनियों के ‘नरसंहार’ के लिए इजराइल की निंदा की और भारत से इजराइल को किसी भी तरह के हथियार की आपूर्ति नहीं करने के लिए कहा।
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नीतीश कुमार के गठबंधन बदलने के इतिहास पर उन्होंने कहा कि हर पार्टी ने अपने विरोधियों से हाथ मिलाया है। उन्होंने कई उदाहरण दिए, जिनमें कांग्रेस का डीएमके के साथ जाना और भाजपा का नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों से अलग-अलग समय पर हाथ मिलाना शामिल है। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि नीतीश कुमार थोड़े ज्यादा बदनाम हो गए हैं। त्यागी ने जोर दिया कि समाजवादी नेता कुमार अब कहीं नहीं जाएंगे और भाजपा के साथ ही रहेंगे।
नेहरू और वाजपेयी की तारीफ
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “सरकार को कोई खतरा नहीं है. इसे कहीं से भी कोई चुनौती नहीं है, न विपक्ष से और न ही अपने सहयोगियों से. यह अपना कार्यकाल पूरा करेगी.” वरिष्ठ समाजवादी नेता ने जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी की भी सराहना की जो भारतीय लोकतंत्र के लिए “लोकतांत्रिक रूप से उपयुक्त” प्रधानमंत्री थे. त्यागी ने कहा कि नेहरू को अपनी गलतियों के लिए माफी मांगने में कोई हिचक नहीं थी, वहीं वाजपेयी ने पहले वामपंथियों को विरोध करने के लिए उकसाया और फिर इसका इस्तेमाल इराक युद्ध में भारत को शामिल करने के अमेरिका के प्रयास को नाकाम करने के लिए किया.
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभरना अच्छा लगा. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए अच्छा है. हालांकि, त्यागी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल गांधी अब अन्य पिछड़े वर्ग के हितों की वकालत कर रहे हैं, लेकिन उनके पिता राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने के वीपी सिंह सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए संसद में ढाई घंटे से अधिक देर तक भाषण दिया था.