राजधानी पटना में सोमवार को जेडीयू की ओर पीसी आयोजित की गई थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश प्रवक्ता निहोरा प्रसाद यादव, अरविंद निषाद और अंजुम आरा ने राजद पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान निहोरा प्रसाद यादव ने कहा कि आप सबने सुना होगा कि बिहार में पहले नौकरी देकर जमीन ले गई, अब इस लोकसभा चुनाव में जमीन लेकर टिकट दिए जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा प्रमाण तेजस्वी यादव की तस्वीर से है। यह कोई नई बात नहीं है। राजनीतिक उनके लिए सेवा का माध्यम नहीं रहा बल्कि धन अर्जन का रास्ता रहा है।
निहोरा ने कहा कि पार्टी के द्वारा एक टिकट झंझारपुर में दी गई। जिसमें चर्चाएं हुई कि गुलाब यादव को टिकट दिया गया। गुलाब यादव क्षेत्र में घूमने भी लगे। लेकिन इतनी प्रतियोगिता बढ़नी शुरू हो गई कि गुलाब यादव से बढ़कर डाक बोलने वाला व्यक्ति मिला और उसे व्यक्ति को वीआईपी का टिकट दे दिया गया। निहोरा ने कहा कि क्या तेजस्वी यादव यह बता सकते हैं कि वाल्मीकि नगर में किसे टिकट दी गई है? दीपक यादव कौन है? जो भी पैसे देने वाले लोग हैं उनकी तलाश यह लोग करते हैं और पैसे लेकर टिकट देते हैं, कौन है दीपक यादव? दीपक यादव बगहा चीनी मिल के मालिक हैं और उनके कई कारखाने हैं। राजनीति में जो धारा लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने चलाया है तो शायद ही कोई गरीब का बेटा राजनीतिक कर पाएगा।
यह उनकी नीति से अब नहीं दिख रहा है, क्योंकि यह साफ हो गया कि जिसके पास पैसा है, जो पैसा देगा वह चुनाव लड़ेगा। राजद के कार्यकर्ता उपेक्षित हैं और गुस्से में है। राजद के लिए काम करने वाले तमाम लोग कह रहे हैं कि राजनीति करना अब बेकार हो रहा है। इसलिए मैं बिहार के लोगों के सामने यह बात रखना चाहता हूं कि राष्ट्रीय दल के लोगों और प्रत्याशियों से सावधान हो जाए। पैसे लेकर टिकट दे रहे हैं। जितने के बाद क्या करेंगे।
वहीं अरविंद निषाद ने कहा कि पार्टी की तरफ से आज विषय को उठाया गया है। राष्ट्रीय जनता दल जिस चीज के लिए कुख्यात हो चुकी है। मुकेश सहनी की वीआईपी से उनका गठबंधन हुआ। राजद ने अपने कोटे से तीन सीटें उनको दी। उसे 3 सीट में एक सीट की घोषणा कल उन्होंने की। जो की झंझारपुर सीट है। उसे सीट पर पहले मीडिया में चर्चा थी कि पूर्व विधायक गुलाब यादव को वीआईपी पार्टी ने उनको अपना उम्मीदवार बनाया है। गुलाब यादव झंझारपुर में रोड शो भी कर लिए, लेकिन कल जो उम्मीदवार घोषित किए गए, उनके नाम में ही महासेठ है, तो कितने की बोली लगी इस बात का खुलासा वीआईपी को करना होगा? दूसरा हमारा सवाल है मोतिहारी और गोपालगंज की सीट है। गोपालगंज की सीट जो सुरक्षित है वहां से कोई अत्यंत पिछड़ा वर्ग का उम्मीदवार हो नहीं सकता है तो एक सीट मोतिहारी की बचती है। उस सीट पर क्या मुकेश वैसे सेठ का इंतजार कर रहे हैं ? या दूरबीन लेकर के खोज रहे हैं। तीसरा सवाल यह है कि मोतिहारी सीट जो अत्यंत पिछड़ा निषाद मल्लाह बाहुल्य क्षेत्र है और वीआईपी पार्टी और मुकेश साहनी निषादों का नेता होने का खोखला दावा करते हैं, क्या चुनाव में निषाद समाज के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाएंगे? क्योंकि सिर्फ कहने से काम नहीं चलेगा कि हम निषादों के नेता है और अति पिछड़ा समाज के नेता है। उनको मोतिहारी सीट से उम्मीदवार बनाने के लिए उस दिशा में आगे बढ़ना पड़ेगा।