राम और विवाद भारतीय राजनीति के अंग ही हैं। राम के जन्म पर, राम के मंदिर पर, राम के सेतु पर…. यहां तक कि राम क नाम पर विवाद भारतीय राजनीति के टॉप ट्रेंडिंग विषयों में रहा है। राम का मंदिर बनना शुरू हुआ तो रामचरितमानस पर विवाद शुरू हो गया। विवाद शुरू किया बिहार के शिक्षामंत्री ने, जिन्हें रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ लगा। लेकिन शिक्षामंत्री भूल गए कि राम नाम की अवहेलना अब भारतीय राजनीति में नुकसान का सौदा साबित हो रही है। उनके साथ भी यही हो रहा है।
शिक्षामंत्री पर भड़के शिक्षकों ने रामचरितमानस की चौपाई का मतलब समझाया
JDU ने कड़ा किया रूख
रामचरितमानस पर विवादित बयान देने के एक दिन बाद शिक्षामंत्री और भड़क गए। उनके रूख में कोई बदलाव नहीं आया। लेकिन जिस महागठबंधन की सरकार के वे मंत्री हैं, उसी गठबंधन के साथी JDU ने अपना रुख कड़ा किया है। वैसे तो किसी आधिकारिक प्रवक्ता ने शिक्षामंत्री के बयान पर अब तक कुछ नहीं कहा है लेकिन पूर्व प्रवक्ता निखिल मंडल बरस गए हैं।
शिक्षा मंत्री के बयान पर सियासत तेज, शुरू हुआ बयानबाजियों का दौर
माफी मांगें शिक्षामंत्री : निखिल
जदयू के पूर्व प्रवक्ता निखिल मंडल ने शिक्षामंत्री चंद्रशेखर के बयान पर स्पष्ट राय रखी है। उनका कहना है कि रामचरितमानस पढ़ना अलग बात है और समझ लेना अलग बात है। निखिल ने आगे कहा है कि मैं गठबंधन धर्म का सम्मान करते हुए कहना चाहता हूं कि बिहार के शिक्षा मंत्री जी को अविलंब अपने रामचरितमानस वाले बयान को लेकर माफी मांगनी चाहिए। राजनीति अपनी जगह है पर सभी के भावना का कद्र होना ही चाहिए। निःसंदेह करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है।
निखिल और चंद्रशेखर में चुनावी जंग भी
वैसे तो महागठबंधन बनने के बाद निखिल मंडल और चंद्रशेखर एक ही राजनीतिक पलड़े में हैं। लेकिन हकीकत यह भी है कि राजद के चंद्रशेखर, जदयू के निखिल मंडल को 2020 के चुनाव में हराकर ही विधानसभा पहुंचे हैं।