नालंदा लोकसभा सीट से जदयू के कौशलेंद्र कुमार ने जीत दर्ज कर ली है। वहीं दूसरे नंबर पर CPI(ML) के संदीप सौरभ रहे। नालंदा सीट के लिए सातवें चरण में 1 जून को मतदान हुआ था।
यहां से नीतीश कुमार की पार्टी ने मौजूदा सांसद कौशलेंद्र कुमार पर ही अपना भरोसा जताया था। वह यहां से तीन बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं। उधर, इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट भाकपा माले के खाते में आई थी। यहां से CPI(ML) ने संदीप सौरभ को अपना उम्मीदवार बनाया था। संदीप सौरभ जेएनयू छात्र संघ के महासचिव रह चुके हैं। वह वर्तमान में पालीगंज के विधायक हैं।
नालंदा का कैसा रहा चुनावी इतिहास
पटना से अलग होकर नालंदा 1972 में एक अलग जिला बना। इसके पहले के लोकसभा चुनावों में नालंदा पटना जिले का ही हिस्सा बना रहा। यहां पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। उस समय पटना सेंट्रल ही वर्तमान का नालंदा का लोकसभा क्षेत्र था। पटना सेंट्रल के नाम से हुए उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कैलाशपति सिन्हा ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदावर चंद्रिका सिंह को 46 हजार 401 मतों से हराया था. 1957 के आम चुनाव में पटना से अलग होकर नालंदा लोकसभा को अपना नाम मिला।
इस चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट से कैलाशपति सिन्हा ने जीत दर्ज की थी। नालंदा लोकसभा सीट से पहले चुनाव से लेकर 1971 तक यानी छठी लोकसभा तक लगातार कांग्रेस की जीत मिली। इसके बाद यहां से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा रहा। लोकसभा चुनाव 1996 में नालंदा से समता पार्टी के टिकट पर जार्ज फार्नाडिंस ने जीत दर्ज कर सीपीआई के गढ़ पर कब्जा जमाया।
2019 का जनादेश
जेडी(यू) के कौशलेंद्र कुमार 5,40,888 वोट से जीते
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा(एस) के अशोक कुमार को 2,84,751 वोट मिले
आईएनडी. के रामविलास पासवान को 21,276 वोट मिले
2014 का जनादेश
2014 में इस सीट पर जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार जीते थे। उन्होंने एलजेपी प्रत्याशी सत्य नंद शर्मा को हराया था। कौशलेंद्र कुमार को 3,21,982 (34.93 प्रतिशत) वोट मिले जबकि सत्य नंद शर्मा को 3,12,355 वोट. शर्मा को कुल वोटों का 33.88 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त हुआ। हार का अंतर देखें तो यह 10 हजार से भी कम था और 1 प्रतिशत से भी कम वोट शेयर पर जीत-हार का फैसला हुआ। 2014 के चुनाव में इस सीट पर तीसरे नंबर पर कांग्रेस रही जिसके प्रत्याशी आशीष रंजन सिन्हा को 1,27,270 (13.81 प्रतिशत) वोट मिले। चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमशः बीएसपी और सीपीआई (एमएल) रहे।