बिहार में इफ्तार पार्टी को लेकर सियासी चर्चाओं का दौर शुरू है। राजनीतिक जानकार तो इफ्तार पार्टी को नए सियासी समीकरण के चश्में से देखना शुरू कर दिया गया है। पिछले साल इफ्तार पार्टी के बाद बिहार में एक बड़ा सियासी फेरबदल को देखने को मिला था। यही कारण है कि इस बार भी कयासों का बाजार गर्म है। इस बार सभी की नजरें लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान पर टिकी हुई है। चिराग पासवान जदयू के इफ्तार में शामिल नहीं हुए लेकिन राजद के इफ्तार में शिरकत करते दिखे। इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ हो ही रही थी कि जदयू के तरफ से चिराग को एक बड़ा ऑफर दे दिया गया है। जिसके बाद से नए सियासी समीकरण को लेकर कयासों का बाजार गर्म है।
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चिराग को JDU का ऑफर
चिराग पासवान को जदयू की तरफ से मुख्यमंत्री आवास में होने वाले इफ्तार पार्टी में आमंत्रित किया गया था। आमंत्रण मिलने के बाद भी चिराग नहीं गए थे। लेकिन रविवार को राजद की इफ्तार पार्टी में चिराग शामिल हुए। जहां उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उनका बड़े ही गरमजोशी के साथ स्वागत किया। चिराग पासवान ने वहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैर छूकर भी आशीर्वाद लिया। इस मेलजोल को लेकर सियासी गलियारे में बहस छिड़ी ही हुई थी कि जदयू के तरफ से चिराग पासवान को एक ऑफर भी दे दिया गया। दरअसल जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि राजद के इफ्तार पार्टी में चिराग का शामिल होना एक सुखद पल था।
नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, शरद यादव और चिराग के पिता रामविलास पासवान एक ही परिवार के लोग हैं। रामविलास पासवान के राजनीतिक विरासत को अब चिराग को ही आगे बढ़ाना है। महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी, नीतीश के साथ आ गए हैं। यदि चिराग भी महागठबंधन में शामिल होते है तो उनका ये कदम स्वागत योग्य होगा। केसी त्यागी के इस बयान के बाद सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि जो चिराग पासवान जदयू के इफ्तार पार्टी के आमंत्रण को नकार दिया, क्या वो जदयू के ऑफर को स्वीकार करेंगे?
चिराग की बदलती रणनीति
चिराग पासवान आने वाले समय में क्या निर्णय लेते हैं ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन हाल के दिनों में उनकी रणनीतियाँ बदलती हुई नजर आ रही है। चिराग पासवान जब भाजपा के समर्थन में प्रचार करते दिखे थे तो ये कयास लगाए जा रहे थे कि वो एनडीए में शामिल हो सकते हैं। लेकिन कुछ दिनों पहले ही उन्होंने ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी आगामी चुनाव के लिए बिहार की सभी सीटों पर तैयारी कर रही है। वहीं इन सब के बीच तेजस्वी यादव से उनकी बढ़ती नजदीकी को लेकर भी कई तरह की चर्चाएँ हो रही हैं। सबसे गौर करने वाली बात ये है कि चिराग ज्यादातर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बोलते दिखते हैं। वहीं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के प्रति नर्म रुख अपनाए रहते हैं। चिराग की रणनीतियों ने राजनीतिक जानकारों को भी कन्फ्यूज कर रखा है।