जाति है कि जाती ही नहीं है. बात बिहार की हो तो जाति पर चर्चा और निखर कर आती है। अभी नवादा में आग लगी, घर जले, अरमान उजड़े लेकिन इस अपराध के बाद बिहार के नेताओं की जुबान अलग ही जातीय आग उगल रही है। बात शुरू हुई थी नवादा अग्निकांड के पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने की। लेकिन जातीय आग में सियासत ने नमक रगड़ने की शुरुआत कर दी। आग नवादा के दलित बस्ती में लगी और बिहार की सियासत, जाति की आग में जलने लगी है। दलित बस्ती में आग लगी,कई मवेशी जल गए,उन्हें बचाने में कई लोगों के हाथ जले, लेकिन राजनीति तो अलग ही स्तर पर जल रही है।
नवादा के कृष्णानगर दलित बस्ती में दबंगों ने जमीन विवाद में आग लगाई,तो सबसे पहले ये पता लगाया गया कि बस्ती में किस जाति के लोग रहते हैं और आग लगाने वाले किस जाति के हैं। फिर अग्निकांड के पीड़ितों का दर्द पीछे छूट गया और जाति की सियासत सामने आ गई। अग्निकांड के पीड़ितों में मांझी यानी मुसहर जाति के ज्यादातर लोग हैं। लिहाजा इसी जाति से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी सामने आए और उन्होंने आग लगाने वालों को राजद का कार्यकर्ता बता दिया। नाम राजद का आ गया तो तेजस्वी यादव कैसे चुप बैठते? तेजस्वी यादव ने जीतन राम मांझी को जवाब देने की कोशिश की। इस कोशिश में तेजस्वी यादव पर अलग ही तरह की टिप्पणी की। जीतन राम मांझी की जाति बदलते हुए तेजस्वी ने कहा कि “जीतन राम मांझी को तो अब प्यार से जीतन राममांझी नहीं बल्कि जीतन शर्मा बुलाया जाना चाहिए।” तेजस्वी की यह कोशिश जीतन राम मांझी को भूमिहार बुलाने की थी, जिसमें उन्होंने भूमिहार शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।
फिर क्या था जीतन राम मांझी ने भी लालू प्रसाद यादव की जाति बदलने में देर नहीं की। लालू यादव को लालू पाल लिखकर सोशल मीडिया में लालू को गड़ेरी जाति का घोषित करते ऐलान किया कि गर्व से कहते हैं कि हम मुसहर हैं। लालू जी में हिम्मत है तो वह भी कहकर दिखाएं कि हम गड़ेरी हैं।
बिहार में जातीय संघर्ष से पैदा हुए नरसंहारों का एक लंबा इतिहास रहा है। नवादा अग्निकांड में भी जाति का घी डाला जा रहा है। वैसे तो पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है लेकिन नेताओं के ये बयान समाज को किस ओर ले जाएंगे, अभी कहना मुश्किल है।