वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 पर चर्चा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने पटना में आयोजित बैठक में विभिन्न संगठनों और आम नागरिकों की राय जानी। समिति की अध्यक्षता जगदंबिका पाल ने की। बैठक में अधिनियम के पक्ष और विपक्ष में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए। कुछ प्रतिनिधियों ने वक्फ कानून में संशोधन का समर्थन करते हुए इसे समय की जरूरत बताया। वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 40 को हटाने और वक्फ समिति में गैर-मुस्लिम व महिलाओं को शामिल करने की मांग भी जोर-शोर से उठी।
भाजपा विधायक डॉ. संजीव चौरसिया ने दीघा विधानसभा क्षेत्र के गर्दनीबाग, शेखपुरा और फतुहा के गोविंदपुर में वक्फ कानून के कथित दुरुपयोग के मामलों को समिति के सामने रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल के माध्यम से सरकारी और रैयती जमीन पर कब्जा कर रहा है। उन्होंने दस्तावेजों के साथ बताया कि गर्दनीबाग के रोड संख्या 10 में स्थित 1.34 एकड़ सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया है, जहां वर्षों से छठ पूजा आयोजित होती रही है।
शेखपुरा के पटेल पथ पर 36 डिसमिल गैर-मजरुआ आम जमीन पर मरकज के निर्माण और फतुहा के गोविंदपुर में रैयती जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करने का भी मामला उठाया गया। उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों का हवाला देते हुए वक्फ बोर्ड पर सवाल उठाए। बिहार राज्य आर्य प्रतिनिधि सभा ने वक्फ संपत्तियों के सर्वे और पंजीकरण का अधिकार जिलाधिकारी को देने की मांग की। राजपूत महासभा बिहार, वरीय नागरिक मंच, बुद्धा कल्याण परिषद, भूमिहार ब्राह्मण फ्रंट और दीघा कृषि भूमि आवास बचाओ संघर्ष समिति ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
बैठक में सांसद संजय जायसवाल, असदुद्दीन ओवैसी, कल्याण बनर्जी और अरुण भारती सहित कई सदस्य मौजूद रहे। याचिकाकर्ता प्रेम सिंह, उपेंद्र सिंह, सत्येंद्र सिंह, दानिश इकबाल और वीरेंद्र सिंह ने भी समिति के समक्ष अपने विचार रखे।