वर्तमान से पूर्व मंत्री बने कार्तिक सिंह की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। आज यानि 1 सितंबर गुरुवार को वे कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए हाजिर हुए। पटना के दानापुर स्थित व्यवहार न्यायालय में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, तृतीय के कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए उपस्थित हुए।
मंत्री बनने के बाद बढ़ा विवाद
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद उन्हें कानून मंत्री बनाया गया था। वो RJD कोटे से मंत्री बने थे। उसके बाद से ही वो विपक्ष के निशाने पर थे। विपक्ष बार-बार ये सवाल उठा रहा था कि जो वारंट पर है उनको मंत्री कैसे बनाया जा सकता है ? विपक्ष नीतीश कुमार की जीरो टोलरेंस की नीति के ऊपर सवाल खड़ा कर रही थी। नीतीश सरकार की जम कर फजीहत हुई।
मंत्रालय बदला तो मंत्री पद से दिया इस्तीफा
16 अगस्त को ही उन्होंने मंत्री कार्तिक सिंह मंत्री बने थे। पर उनको लेकर बढ़ते विवाद को देखते हुए नीतीश सरकार बैकफूट पर आ गई। बीते दिन 31 अगस्त उन्हें कानून मंत्री के पद से हटा कर गन्ना उधोग मंत्री बनाया गया था। पर शाम होते होते उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दिया। हालाकिं अपनी और से सफाई देते हुए कार्तिक कुमार ने कहा था कि मंत्रिमंडल में विभाग बदलने से मेरी कोई नाराजगी नहीं है। न्यायालय से बरी होने के बाद पार्टी जो जिम्मेदारी देगी मैं उसे स्वीकार करूंगा।
अपहरण के मामले में आरोपी
मोकामा के बाहुबलि विधायक अनंत सिंह के साथ कार्तिक कुमार पर भी एक अपहरण का मामला दर्ज है। मामला 2014 का है, जिसमें आरोप है कि इन लोगों ने बिहटा में राजू सिंह का अपहरण किया था। इस मामले में बिहटा थाने में FIR भी दर्ज है। कार्तिक कुमार के खिलाफ वारंट भी निकला था। उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना था। इसके लिए उन्हें 16 अगस्त तक कोर्ट में हाजिर होना था। लेकिन बदली राजनीतिक परिस्थितियों में कार्तिक कुमार एलएलसी से मंत्री बन गए। वैसे तो मंत्री बनने से पहले 12 अगस्त को ही कोर्ट से कार्तिक कुमार को एक सितंबर तक के लिए राहत मिली। लेकिन विवाद इस पर शुरू हुआ कि जब वारंट निकला हुआ है तो मंत्री कैसे बन गए।