निर्वाचन आयोग (Election Commission) द्वारा लगातार मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है, लेकिन पहले चरण के चुनाव में बिहार की जिन चार लोकसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ वहां वोटिंग के प्रतिशत में गिरावट पर खूब चर्चा हो रही है। मतदान कम होने के मूल कारण में बढ़ती तपिश, पलायन और मतदाताओं के बीच प्रत्याशियों को लेकर उदासीनता को माना जा रहा है। मतदान प्रतिशत कम होने के बाद राजनीतिक दलों ने भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए रणनीति बनाई है.
वहीं, दूसरे चरण में जिन लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है वहां वोटिंग का पिछला रिकॉर्ड बढ़िया रहा है। भागलपुर, बांका, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में शुक्रवार, 26 अप्रैल को मतदान है। कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था तो वहीं भागलपुर और बांका में 55 प्रतिशत से अधिक मतदान रिकॉर्ड हुए.
कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया में 60 प्रतिशत से अधिक
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो विगत दो चुनावों में वहां 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। वर्ष 2019 में पूर्णिया में 65.37 प्रतिशत वोट पड़े थे। यह 2014 के लोकसभा चुनाव के 64.31 प्रतिशत से अधिक था। कटिहार लोकसभा क्षेत्र में भी विगत दो लोकसभा चुनाव में वोटिंग को लेकर खूब उत्साह रहा है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कटिहार में 67.64 प्रतिशत मतदान हुआ था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मामला कुछ इसी तरह का था। तब यहां 67.60 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं किशनगंज लोकसभा क्षेत्र भी उस श्रेणी के लोकसभा क्षेत्रों में शुमार है, जहां विगत दो लोकसभा चुनाव में मतदान 60 प्रतिशत से अधिक हुआ है। वर्ष 2019 में किशनगंज में 66.38 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2014 में यहां मतदान का प्रतिशत 64.52 प्रतिशत था।
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भागलपुर और बांका में 55 प्रतिशत से अधिक
बांका लोकसभा क्षेत्र की स्थिति यह है कि विगत दो लोकसभा चुनावों में वहां 58 प्रतिशत वोट डाले गए। बांका में 2019 में वोटिंग का प्रतिशत 58.60 था, जो 2014 के 58.04 प्रतिशत से थोड़ा बढ़ा था। भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में विगत दो आम चुनाव के दौरान मतदान का प्रतिशत लगभग समान रहा है। वर्ष 2019 के आम चुनाव में वहां 57.20 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में वोट का प्रतिशत 57.80 था।