बिहार की राजनीति जातिवाद की धुरी पर वर्षों से चकर काट रही है। ये कभी मुस्लिम-यादव वाले तो कभी कुर्मी-कोइरी वाले तो कभी किसी और जातीय समीकरण वाली कक्षा में स्थापित हो जाती है। नयी-नयी कक्षा का निर्माण करने की कोशिश भी लगातार चलती रहती है। साथ ही उस कक्षा का राजा खुद को बनने की कोशिश में राजनीतिक धुरंधर लगे रहते हैं। ऐसे ही एक राजनीतिक धुरंधर विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी भी हैं। जो खुद को ‘सन ऑफ मल्लाह’ भी कहलवाना पसंद करते हैं। खुद को निषादों का सबसे बड़ा हितैषी के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए संकल्प यात्रा पर निकले है।
उधर उनकी प्रतिध्वन्धी भाजपा में भी हरि सहनी को बिहार विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष बनाकर बड़ा दांव चला है। यही कारण है कि मुकेश सहनी अपनी संकल्प यात्रा के दौरान बार बार इस बात को दोहरे रहे हैं कि उनकी पार्टी के अलावा कोई और पार्टी के पास निषादों के लिए लड़ने की हैसियत नहीं है।
बिहार के लिए फिर शोक बनेगी कोसी नदी, नेपाल ने डिस्चार्ज किया कोसी का पानी
भाजपा पर निशाना
दरअसल मुकेश सहनी इन दिनों संकल्प यात्रा पर निकले हुए हैं। उनकी ये यात्रा बिहार, यूपी और झारखंड से गुजरेगी। इन दिनों उनकी यात्रा समस्तीपुर जिले से गुजर रही है। जहां लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि आज निषाद समाज की ताकत इतनी बढ़ गई है कि किसी पार्टी में इतनी हैसियत नहीं की वह निषाद से लड़ सके। सहनी ने कहा कि उनके लिए निषाद जाति नहीं बल्कि परिवार है, यही कारण है कि वे अपने परिवार के आनेवाली पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि आज भाजपा हरि सहनी को नेता प्रतिपक्ष बना दिया, लेकिन बिहार, यूपी और झारखंड में पांच करोड़ निषादों में से एक का सम्मान है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक को सम्मान देकर फिर बरगलाने की चाल चली है।
भाजपा दे रही है सहनी को ऑफर?
मुकेश सहनी ने लोगों से एकजुट रहने की अपील करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए आज हमे संघर्ष करना होगा और लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने इसके लिए लोगों के हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प करवाया। उन्होंने कहा कि अगर आज निषाद को आरक्षण मिल गया होता तो हमारे बच्चे भी आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर होते। भाजपा की दुश्मनी मुकेश सहनी से नहीं है, वह आज भी पार्टी विलय करने पर सीएम का प्रत्याशी बनाने का ऑफर दे रही है।