बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर यादव के रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताने पर विरोध के स्वर कई ओर से फूटे हैं। एक ओर चंद्रशेखर ने यह भी कह दिया है कि उन्हें मंत्री पद जाने का डर नहीं है। वे अपनी बात पर टिके हैं। वे माफी नहीं मांगेंगे। उन्होंने जो कहा वो सच है। लेकिन उनका विरोध भी अलग अलग स्तर पर हो रहा है। राजनीतिक और धार्मिक लोगों द्वारा विरोध के बाद अब बौद्धिक विरोध शुरू हो गया है। पटना में हनुमान मंदिर के प्रमुख व सेवानिवृत्त आईपीएस किशोर कुणाल ने शिक्षामंत्री के वक्तव्य को सिरे से खारिज किया है।
शिक्षामंत्री पर भड़के शिक्षकों ने रामचरितमानस की चौपाई का मतलब समझाया
शिक्षामंत्री को आमंत्रण
आचार्य किशोर कुणाल ने इस मुद्दे पर कहा कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है। मीडिया से बात करते हुए किशोर कुणाल ने कहा कि जो शिक्षामंत्री कह रहे हैं, उसका तार्किक आधार उन्हें प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरी नजर में रामचरितमानस सामाजिक सद्भाव का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। यही करोड़ों लोगों की भावना है। शिक्षामंत्री के पास कोई दूसरा तर्क है तो सेमिनार में आ जाएं या किसी प्रतिनिधि को भेजें। जिससे वे किसी तार्किक हल पर पहुंचे।
शिक्षामंत्री को कटघरे में खड़ाकर JDU भी पहुंच गई ‘राम’ की तरफ
चौपाइयों को गलत नजरिए से पेश किया गया है
किशोर कुणाल ने साफ कहा कि धार्मिक ग्रंथों में कई चौपाइयों को पब्लिशर्स ने विवादास्पद रूप दिया है। रामचरित मानस में ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और नारी को लेकर जो प्रसंग है वो गलत है। असली में शूद्र नहीं क्षुध्र लिखा गया था। नारी का संबंध औरत से नहीं समुद्र से है। लेकिन इसे गलत रूप में कुछ लोगों ने प्रचारित कर अनावश्यक विवाद किया है। इसलिए इसकी तार्किक व्याख्या होनी चाहिए।
शिक्षा मंत्री के बयान पर सियासत तेज, शुरू हुआ बयानबाजियों का दौर
संजय सिंह ने भी किया पलटवार
वहीं राजद कोटे से मंत्री बने शिक्षामंत्री चंद्रशेखर यादव पर जदयू के MLC संजय सिंह ने भी पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि एक शिक्षा मंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए और बयान काफी निंदनीय है। इस बयान को लेकर तेजस्वी यादव को कार्रवाई करने की जरूरत है। तेजस्वी यादव खुद समझदार व्यक्ति है और बिहार के उपमुख्यमंत्री भी हैं। तो इस तरह का बयान देना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। रामचरितमानस पवित्र है और इसे सभी लोग सम्मान देते हैं।