बिहार के शिक्षा विभाग और राजभवन का टकराव नया नहीं है। पहले भी कई ऐसे मौके आए हैं जब शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच अधिकारों को लेकर खींचतान दिखी है। पिछली महागठबंधन की सरकार में भी ऐसे मौके आते रहे। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देशों से कई बार राजभवन के सुर अलग दिखे। अब नई सरकार बन गई है लेकिन टकराव जस का तस है।
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दरअसल, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की तरफ से दो और तीन मार्च को उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया जाना है। इसी को लेकर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बड़ा फैसला किया है। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राजभवन ने सभी विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों को शिक्षा विभाग के इस कार्यक्रम में भाग लेने पर रोक लगा दी है। राजभवन की ओर से विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को पत्र भेज दिया गया है। इसमें स्पष्ट है कि विश्वविद्यालयों के पदाधिकारी भाग नहीं लेंगे। राजभवन ने यह पत्र पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की ओर से भेजे गए पत्र के जवाब में भेजा गया है। पाटलिपुत्र विवि प्रशासन की ओर से शिक्षा विभाग के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मार्गदर्शन की मांग की गई थी।
बता दें कि शिक्षा विभाग के इस कार्यक्रम में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव आदि पदाधिकारियों को बुलाया गया है। यह कार्यक्रम चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में होना है। इसमें विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को नेतृत्व क्षमता, परीक्षा कैलेंडर, परीक्षा फल प्रकाशित करने आदि मामलों पर प्रशिक्षण देना है। इस संदर्भ में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव की तरफ ने कार्यक्रम में भाग लेने के संदर्भ में राजभवन से मार्गदर्शन मांगा गया था। उसके बाद राजभवन का यह फैसला सामने आया है।