अनुभवी राजनेता और विद्वान आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वर्तमान में केरल के राज्यपाल के रूप में कार्यरत आरिफ मोहम्मद खान का जन्म 18 नवंबर 1951 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ।
आरिफ मोहम्मद खान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और जामिया मिलिया इस्लामिया से अपनी शिक्षा पूरी की। छात्र जीवन से ही वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में सक्रिय रुचि रखते थे, जो बाद में उनके राजनीतिक जीवन की नींव बनी।
आरिफ मोहम्मद खान का राजनीतिक सफर 1970 के दशक में शुरू हुआ। उन्होंने अपने करियर में विभिन्न राजनीतिक दलों और विचारधाराओं के साथ काम किया:
1. कांग्रेस पार्टी:
उन्होंने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और 1980 के दशक में पार्टी के प्रमुख युवा नेताओं में शुमार हुए।
1985 में शाह बानो केस के दौरान उन्होंने तीन तलाक और मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार की वकालत की। हालांकि, कांग्रेस की नीति से असहमति के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
2. जनता दल:
कांग्रेस से अलग होने के बाद वे जनता दल में शामिल हुए और अपना राजनीतिक सफर जारी रखा।
3. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा):
बाद में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली और पार्टी के सिद्धांतों के साथ अपने विचारों को जोड़ा।
राज्यपाल के रूप में कार्यकाल
2019 में आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस दौरान उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और राज्य के अधिकारों के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर उनके स्पष्ट और साहसिक रुख ने राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोरी।
प्रमुख उपलब्धियां
शाह बानो केस: इस ऐतिहासिक मामले में उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की जोरदार वकालत की, जो उनके सुधारवादी दृष्टिकोण का प्रतीक है।
धर्मनिरपेक्षता और समानता: वे भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता और समानता के प्रबल समर्थक माने जाते हैं।