नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई अत्यधिक बारिश के कारण कोसी नदी के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। सुपौल के वीरपुर स्थित कोसी बराज में गुरुवार सुबह चार बजे से जलस्तर बढ़ना शुरू हुआ और शाम छह बजे तक 2,04,175 क्यूसेक दर्ज किया गया। इस बढ़ोतरी को संभालने के लिए बराज के 56 में से 21 फाटक खोले गए हैं।
फ्लेसिंग कार्य और सिंचाई की स्थिति
जलस्तर बढ़ने के साथ ही बराज के कुछ गेटों का फ्लेसिंग के लिए संचालन किया जा रहा है, जिससे नदी के प्रवाह के साथ आई अत्यधिक बालू को हटाया जा सके। गेट नंबर 01, 02, 03, और 04 को फ्लेसिंग के लिए खोल दिया गया है। फ्लेसिंग तब तक जारी रहेगा जब तक पानी से बालू पूरी तरह से साफ नहीं हो जाता। इस दौरान पूर्वी और पश्चिमी मुख्य नहरों में सिंचाई के लिए पानी नहीं छोड़ा जाएगा।
तटबंध पर दबाव
जलस्तर में बढ़ोतरी से तटबंधों पर भी दबाव बढ़ गया है। कौशिकी भवन के मुख्य अभियंता कार्यालय के बाढ़ नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार, पूर्वी कोसी तटबंध के 0 किमी से 40 किमी तक का क्षेत्र सुरक्षित बताया गया है। हालांकि, 16.98 किमी स्पर पर बढ़ते जलस्तर का दबाव बना हुआ है और 25.00 किमी से 28.00 किमी पर नदी का पानी तटबंध से सटा हुआ है। तटबंधों की सुरक्षा के लिए सतत निगरानी और चौकसी जारी है।
प्रभावित गांवों की स्थिति
सरायगढ़ के तटबंध के अंदर बसे गांवों के लोग भी एक बार फिर से चिंता में हैं। नेपाल के तराई एवं पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण कोसी नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके चलते तटबंध के भीतर बसे दर्जनों गांवों के लोग नाव की व्यवस्था करने लगे हैं। बाढ़ के पानी से मूंग की फसलों को नुकसान पहुंचा है और मवेशियों के चारे की चिंता भी बढ़ गई है। सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड क्षेत्र के ढ़ोली और बनैनियां पंचायत पूरी तरह से विस्थापित हैं, जबकि लौकहा, भपटियाही और सरायगढ़ आंशिक रूप से प्रभावित हैं। सरकारी स्तर पर बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए तैयारी की जा रही है और नाव का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है।
कोसी नदी में जलस्तर की बढ़ोतरी और संभावित बाढ़ की स्थिति को देखते हुए स्थानीय प्रशासन और जनता को सतर्क रहने की आवश्यकता है। तटबंधों की सुरक्षा, फसल नुकसान और मवेशियों के चारे की चिंता के साथ-साथ नावों की व्यवस्था भी प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं। सरकारी स्तर पर सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को भी अपनी सुरक्षा और संभावित बाढ़ से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।