जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की पद से छुट्टी हो जाएगी। इतना तय है। यह बदलाव 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले ही हो जाएगा। लेकिन नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में एक बार फिर ललन सिंह की ही ताजपोशी होगी या कोई दूसरा अध्यक्ष बनेगा, यह तय होगा दिसंबर में। जदयू ने संगठन चुनाव की घोषणा तो कर दी है। लेकिन यह चुनाव जदयू के लिए जितना जरुरी है, उससे कहीं अधिक टेंशन है। ललन सिंह को अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया जाता है तो उनकी जगह कौन बनेगा और ललन को कहां एडजस्ट किया जाएगा, यह सबसे मुश्किल है। दूसरी ओर संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद पर शंट हुए उपेंद्र कुशवाहा की उम्मीदों को किनारा मिलेगा या वे अभी किसी बेहतर पद की प्रत्याशा में तैरते रहेंगे, यह भी जदयू के सांगठनिक चुनाव में तय होगा।
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नीतीश की उम्मीदों पर कौन उतरेगा खरा
वैसे तो जदयू में राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद बिना नीतीश कुमार के कृपा के किसी को नहीं मिल सकता। यह खुद नीतीश कुमार कह चुके हैं कि उन्होंने अपनी जगह आरसीपी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर उपकृत किया। आरसीपी मंत्री बन गए तो ललन सिंह को बिठाकर एडजस्टमेंट किया। ऐसे में अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष भी नीतीश कुमार की उम्मीदों पर खरा उतरने वाला ही होगा, इतना तो तय है। अभी तक का ग्राफ देखें तो ललन सिंह हर मामले में नीतीश कुमार की उम्मीदों पर खरा उतरे दिखे हैं। आरसीपी के साइड हो जाने के बाद नीतीश के सबसे करीबी होने का तमगा भी ललन सिंह के पास ही है।
उपेंद्र के एडजस्टमेंट पर सबकी नजर
ललन सिंह अभी लोकसभा में सांसद हैं। साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। वहीं दूसरी ओर उपेंद्र कुशवाहा विधान पार्षद हैं और पार्टी की संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद पर हैं। यह पद उपेंद्र कुशवाहा के लिए ही क्रिएट किया गया है। कुशवाहा से पहले इस पद पर कौन थे, यह जानकारी सार्वजनिक नहीं है। महागठबंधन की सरकार के गठन के वक्त चर्चा थी कि उपेंद्र कुशवाहा को बिहार सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर एडजस्टमेंट किया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उनके नाराज होने की भी खबरें आईं, जिसका उन्होंने खंडन किया। लेकिन संगठन के चुनाव में अब उपेंद्र कुशवाहा का रोल क्या होगा, इस पर सबकी नजर है।