बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रेलमंत्री लालू यादव वैसे तो लगातार मेडिकल ट्रीटमेंट में हैं। लेकिन किडनी ट्रांसप्लांट के बाद कम से कम किडनी के रोग से उन्हें निजात मिली है। बताया जा रहा है कि 80 प्रतिशत से उपर लालू की किडनी फंक्शनल हैं। इस रोग से मुक्ति पाए लालू सिंगापुर में अपनी बेटी के घर लौट तो आए हैं। लेकिन भारत में मुश्किलों का फंदा उन्हें जकड़ने को एक बार फिर तैयार हो रहा है। दरअसल, लालू परिवार की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती हैं। दरअसल, CBI ने सालों से पेंडिंग पड़े उनके एक केस को दोबारा खोल दिया है।
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भ्रष्टाचार के आरोप से जुड़ा है मामला
लालू यादव पर वैसे तो भ्रष्टाचार के पहले से ही कई मामले चल रहे हैं। CBI ने जिस मामले को रीओपन किया है, वो भी भ्रष्टाचार से ही जुड़ा है। इसमें लालू प्रसाद यादव के अलावा, उनके बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के बेटियों चंदा यादव और रागिनी यादव भी आरोपियों में शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये रेलवे प्रोजेक्ट्स के आवंटन में भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। दरअसल, यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। उसी दौरान रेलवे के प्रोजेक्टस के आवंटन में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इस मामले 2018 में CBI ने इस मामले की जांच शुरू की थी। लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया था। इसके बाद अब इस मामले में एक बार फिस जांच शुरू हो रही है।
रेल जमीन लीज के लिए लालू पर घूसखोरी का आरोप
CBI जिस मामले में जांच दुबारा शुरू कर रही है, उसमें मुंबई के बांद्रा में रेल की जमीन को लीज पर देने और और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के सुधार के काम को देने के लिए घूसखोरी का आरोप है। आरोप है कि लालू प्रसाद यादव को DLF ग्रुप की तरफ से दिल्ली में एक प्रॉपर्टी घूस के तौर पर इसके लिए दी गई थी।