बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने अपने पति और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू यादव के बयान के बाद एक नया बयान दिया है, जिसमें उन्होंने बिहार में मैथिली भाषियों के लिए अलग राज्य की मांग उठाई है। राबड़ी देवी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनके पति लालू यादव ने बिहार के बंटवारे के पहले कहा था कि “उनकी लाश पर ही बिहार का बंटवारा होगा।” हालांकि उसके बाद बिहार का बंटवारा हुआ और झारखंड नया राज्य बना। अब राबड़ी देवी मिथिलांचल की मांग के समर्थन में उतरी हैं।
लालू यादव का बयान विशेष रूप से राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, क्योंकि उन्होंने बिहार के बंटवारे के खिलाफ अपनी दृढ़ स्थिति जाहिर की थी। तब बिहार में राजद की ही सरकार थी। लेकिन अभी बिहार में राजद विपक्ष में है और राबड़ी देवी मिथिलांचल की मांग कर रही हैं। राबड़ी देवी ने मिथिलांचल राज्य की मांग उठाते हुए कहा कि बिहार के मैथिली भाषी क्षेत्रों को एक अलग राज्य मिलना चाहिए, ताकि वहां के लोगों का समग्र विकास हो सके।
राबड़ी देवी ने बिहार विधान परिषद में यह बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र को एक अलग राज्य बना दिया जाना चाहिए। उनका यह बयान तब सामने आया है जब हाल ही में केंद्र सरकार ने मैथिली भाषा में संविधान का अनुवाद करवाया था। इस संदर्भ में राबड़ी देवी ने कहा, “मैथिली भाषियों के लिए अलग मिथिलांचल राज्य की मांग पहले भी उठ चुकी है, और अब भी इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।”
राबड़ी देवी का यह बयान राजनीतिक सन्दर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें उन्होंने अपने पति के बयान से अलग एक नया दृष्टिकोण पेश किया है। लालू यादव ने जहां बिहार के विभाजन के खिलाफ अपनी बात रखी थी, वहीं राबड़ी देवी ने मैथिली भाषियों के लिए अलग राज्य की बात की है।
बिहार में मिथिलांचल राज्य की मांग लंबे समय से उठती रही है, और यह क्षेत्र लगभग 4 करोड़ मैथिली भाषी लोगों का घर है। इन जिलों में दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, कटिहार जैसे कई प्रमुख जिले शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में इस मांग को लेकर कई आंदोलन और प्रदर्शन भी हुए हैं, जिनमें राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ आम जनता ने भी भाग लिया।
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष, राबड़ी देवी ने मैथिली भाषियों के लिए अलग राज्य की मांग की है। यह मांग उन्होंने बिहार विधान परिषद में उठाई, जब केंद्र सरकार ने हाल ही में मैथिली भाषा में संविधान का अनुवाद करवाया था। राबड़ी देवी ने 2018 में भी अलग मिथिलांचल राज्य की मांग उठाई थी, और अब एक बार फिर उन्होंने इसे प्रमुखता से उठाया है।
राबड़ी देवी का कहना है कि बिहार के 38 जिलों में से 26 जिलों में लगभग 4 करोड़ लोग मैथिली भाषा बोलते हैं, और इन लोगों के लिए अलग मिथिलांचल राज्य बनाया जाना चाहिए। मिथिलांचल राज्य की यह मांग सदियों से उठती रही है, और राबड़ी देवी ने इसे एक बार फिर से तूल दिया है। उनका यह बयान तब आया है, जब दिल्ली में 25 नवंबर को मिथिलांचल राज्य की मांग को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन किया गया था। यह प्रदर्शन अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति की ओर से आयोजित किया गया था।
मैथिली भाषा को 2003 में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था, और अब यह 22 भाषाओं में से एक मानी जाती है। इसके अलावा, बिहार के अलावा झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में भी मैथिली बोली जाती है। राबड़ी देवी की मांग को केंद्र सरकार के कदम के विरोध के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें हाल ही में संविधान का मैथिली में अनुवाद किया गया है।
मिथिलांचल राज्य की मांग का इतिहास भी पुराना है। 1902 में ब्रिटिश इंडिया के सरकारी अधिकारी जॉर्ज ग्रियर्सन ने भाषाओं पर आधारित एक सर्वे किया था, जिसमें मिथिला के लिए अलग नक्शा तैयार किया गया था। इसके बाद, 1912 में बिहार के गठन के समय से लेकर अब तक, कई आंदोलनों और प्रदर्शन के बावजूद इस मांग को नजरअंदाज किया गया। इसके बाद, 1950-56 के बीच भाषा के आधार पर कई राज्यों का गठन हुआ, लेकिन मिथिला राज्य की मांग को कभी भी स्वीकार नहीं किया गया। 1986 में जनता पार्टी के सांसद विजय कुमार मिश्रा ने भी इस मुद्दे को उठाया था, और 2000 में झारखंड के गठन के बाद से मिथिलांचल राज्य की मांग में और तेजी आई थी।