बिहार की राजनीति में नए साल की शुरुआत सियासी बयानबाजी से हुई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दोबारा साथ आने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन शनिवार को गोपालगंज में नीतीश कुमार ने लालू यादव के ऑफर पर प्रतिक्रिया दी। नीतीश ने लालू के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा बने रहेंगे और “हमेशा साथ रहेंगे।” 1 जनवरी को एक साक्षात्कार में लालू यादव ने कहा था कि “नीतीश कुमार के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं। अगर वह आते हैं तो हम उन्हें साथ लेंगे। मिलकर काम करेंगे। उन्होंने पहले भागने की गलती की थी, लेकिन हम उन्हें माफ कर देंगे।” लालू का यह बयान बिहार की राजनीति में नए समीकरणों की अटकलों को जन्म दे गया था।
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लेकिन गोपालगंज में नीतीश कुमार ने लालू के इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “हमने दो बार गलती से इधर से उधर का फैसला किया था। अब हम हमेशा साथ (एनडीए के) रहेंगे और बिहार के साथ देश के विकास के लिए काम करेंगे।” नीतीश के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि वे आरजेडी के साथ फिर से गठबंधन के मूड में नहीं हैं। इससे पहले2 जनवरी को बिहार के नवनियुक्त राज्यपाल आरिफ खान के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मुलाकात सुर्खियों में रही। समारोह में नीतीश ने तेजस्वी के पास जाकर उनका हालचाल पूछा और उनके कंधे पर हाथ रखा। दोनों की मुस्कुराती हुई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिससे राजनीतिक अटकलों को और बल मिला।
लालू यादव के बयान पर उनके बेटे और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि “नीतीश के साथ जाने का कोई मतलब नहीं बनता। उनके बयान का उद्देश्य मीडिया को शांत करना था।” तेजस्वी का यह बयान उनके और नीतीश के बीच किसी नए गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करता है। वहीं, लालू यादव की बेटी और सांसद मीसा भारती ने अपने पिता के बयान पर कहा कि “लालू यादव और नीतीश पुराने दोस्त हैं। वह क्या कहते हैं, यह वही जानते हैं।”