रेलवे में जमीन के बदले नौकरी देने के मामले (Land For Job Case) में पहली बार आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दूसरे बेटे तेज प्रताप यादव भी फंस गए हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने तेज प्रताप यादव को पहली बार समन भेज कर पेशी का आदेश दिया है। ईडी की सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए बुधवार को यह आदेश जारी किया गया। अदालत ने अब लालू यादव, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप समेत सभी 8 आरोपियों को समन भेजा है। मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
दिल्ली की ईडी स्पेशल राउज एवेन्यू कोर्ट ने जिन आरोपियों को बुधवार को समन किया उनमें लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी एवं तेज प्रताप के अलावा अखिलेश्वर सिंह, हजारी प्रसाद राय, संजय राय, धर्मेंद्र सिंह और किरण देवी शामिल हैं। इन सभी आरोपियों को आगामी 7 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है। बताया जा रहा है कि ईडी की सप्लीमेंट्री चार्जशीट के आधार पर आगे की सुनवाई की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि ए के इंफोसिस्टम द्वारा बिहार में राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव को 2014 में बड़ी तादात में ज़मीन ट्रांसफर किया गया। तेज प्रताप यादव भी लालू यादव परिवार के सदस्य है और मनी लांड्रिंग में इनकी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि लालू प्रसाद यादव मनी लांड्रिंग में शामिल थे और तेजस्वी यादव के खिलाफ भी मामले में पर्याप्त सबूत हैं। कोर्ट ने कहा कि किरण देवी ने मीसा भारती के नाम पर ज़मीन ट्रांसफर किया। जिसके बदले में किरण देवी के बेटे को नौकरी दी गई। इस मामले में किरण देवी के पति भी शामिल थे।
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बता दें कि यह मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि उनके कार्यकाल में रेलवे ग्रुप डी के पदों पर कई लोगों को नियमों की अवहेलना करते हुए नौकरी दी गई थी। इसकी एवज में लालू परिवार और करीबियों के नाम पर जमीनें लिखवाई गई थीं। इस केस के आपराधिक पहलू की जांच सीबीआई कर रही है। वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े पहलू की जांच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के पास है। ईडी ने बीते 6 अगस्त को इस केस में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी। इनमें 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है।