22 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) से पहले मुजफ्फरनगर में खाने-पीने और फल की दुकानें लगाने वाले दुकानदारों ने अपने-अपने नाम लिखकर टांग लिए हैं। दरअसल, पुलिस ने कांवड़ रूट पर पड़ने वाले सभी दुकानदारों को निर्देश दिया था कि वो अपनी-अपनी दुकानों पर प्रोपराइटर या फिर काम करने वालों का नाम जरूर लिखें, जिससे कांवड़ियों में किसी प्रकार का कोई कंफ्यूजन न हो।
मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा का करीब 240 किलोमीटर का रूट पड़ता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण जिला है। यहां पुलिस के निर्देश के बाद दुकानों ने अपने-अपने नाम के साथ किस चीज की दुकान है, उसका नाम लिखकर पोस्टर लगा लिए हैं। किसी ने अपने ठेले पर आरिफ आम वाला तो किसी ने निसार फल वाला की पर्ची लिखकर टांग ली है। वहीं पुलिस के इस फरमान को लेकर सियासी बवाल भी मच गया है।
कांवड़ पथ पर पड़ने वाले दुकानदार लिखें अपना नाम… मुजफ्फरनगर पुलिस के फरमान पर सियासी बवाल
आरजेडी चीफ लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया के जरिए यूपी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है और कहा है कि बीजेपी की सरकार पवित्र यात्रा को भी सांप्रदायिक रंग में रंगना चाहती है। रोहिणी ने एक्स पर लिखा, “लोकसभा चुनाव में अयोध्या की सीट हारने की खीज और अपनी खिसकती जमीन की हताशा में नफरती, विखंडनकारियों की जमात भाजपा की उत्तरप्रदेश सरकार ने मुसलमान भाइयों के इकोनॉमिक (आर्थिक) बॉयकॉट के घृणित उद्देश्य से कांवड़ पथ पर नाम की तख्ती लगा कर सामान बेचने का फरमान जारी किया है। पावन श्रावण (सावन) मास में भगवान शिव के पूजन के लिए की जाने वाली पवित्र धार्मिक यात्रा को भी अपने गंदे राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के उद्देश्य से सांप्रदायिक रंग में रंगना चाह रही है उत्तरप्रदेश की भाजपा सरकार”।
रोहिणी ने आगे लिखा, “धर्म की गलत व्याख्या के साथ समाज व देश में धार्मिक-विद्वेष, नफरत व उन्माद का जहर घोलना ही भाजपा की फितरत व राजनीति रही है। हद तो तब ही हो गयी थी जब अयोध्या की हार के पश्चात इन लोगों ने अयोध्या के हिंदुओं तक के बॉयकॉट (बहिष्कार) के लिए मुहिम छेड़ दी थी। इन लोगों की विकृत मानसिकता को अच्छी तरह से देख व समझ चुका है देश और गंगा-जमुनी तहजीब को तोड़ने-बाँटने की इनकी हर कोशिश अब नाकाम ही होगी”।