बिहार में आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जो शराबबंदी पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करते ही रहते हैं। सारण शराबकांड ने बिहार सरकार की खुब किरकिरी हुई। विपक्ष लगातार शराबबंदी को फेल बताने में लगा हुआ है। वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सत्ता में साझेदार उनके साथी भी शराबबंदी कानून पर सवाल खड़ा करते रहते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही कितना भी दावा कर लें की बिहार में शराबबंदी है पर धरातल पर हकीकत कुछ और है। कुछ सरकारी अधिकारियों को भी शराबबंदी कानून का डर नहीं है वे इस कानून की जमकर धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मुजफ्फरपुर से सामने आया है। जहां सरकारी दफ्तर में शराब पार्टी कर रहे दो अधिकारियों को उत्पाद विभाग की टीम ने गिरफ्तार किया है।
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उत्पाद विभाग ने की कार्रवाई
दरअसल मुजफ्फरपुर के प्रधान डाकघर में नए साल के अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान किया गया था। जिसमें डाकघर के अभी नए और पुराने कर्मियों को आमंत्रित किया गया था। धार्मिक अनुष्ठान समाप्त होने के बाद सभी अपने घर को लौट गए पर कुछ अधिकारी डाकघर में ही रुक गए। उन्होंने डाकघर को ही मयखाना बना लिया और वहां पर शराब पार्टी करने लगे। जिसकी भनक उत्पाद विभाग की टीम को लग गई। उत्पाद विभाग की टीम ने तुरंत छापेमारी कर दो अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपियों की कोर्ट में होगी पेशी
नए साल का जश्न शराब पार्टी कर मनाना डाकघर के दो अधिकारियों को भारी पद गया। शराब पार्टी की जानकारी मिलाने के बाद जब उत्पाद विभाग की टीम ने डाकघर पर छापेमारी की तो दो अधिकारी नशे की हालत में मिले। जिसमें पहले डिप्टी पोस्ट मास्टर दीनानाथ प्रसाद साह और दूसरे रिटायर्ड डिप्टी पोस्टमास्टर अभय कुमार वर्मा का नाम शामिल है। ब्रेथ एनालाइजर जांच के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस मामले की जानकारी देते हुए उत्पाद अधीक्षक संजय कुमार राय ने बताया कि दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा।