बिहार में शराबबंदी को छह साल से अधिक का वक्त बीत चुका है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब बिहार में शराबबंदी हुई है। जिस कर्पूरी ठाकुर को सीएम नीतीश कुमार राजनीतिक आदर्श मानते हैं, उन्होंने भी शराबबंदी का प्रयास किया। लेकिन तब वो प्रयास शनि के ढैया यानि ढ़ाई साल में बिखर गया है। इस बार जब नीतीश सरकार ने शराबबंदी की है, तो इसे साढ़े छह साल बीते हैं। नेताओं के बयान देखें तो कई बार ऐसा लगता है कि शराबबंदी अब टूटेगी या तब? दरअसल, बिहार में शराबबंदी नेता ही करते हैं और फिर नेता ही शुरू करा देते हैं। पहले भी यही हुआ, आगे भी इसी के आसार दिखने लगे हैं।
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1977 में हुई थी पहली शराबबंदी
गरीबों का पैसा शराब में बरबाद होने से आहत तत्कालीन सीएम कर्पूरी ठाकुर ने 1977 में शराबबंदी की घोषणा कर दी। कर्पूरी ठाकुर जब दूसरी बार जून 1977 में मुख्यमंत्री बने तो बिहार में शराबबन्दी जैसा साहसिक फैसला लिया। बिहार में शराबबंदी लागू की गई। जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले सरकार में जनसंघ/बीजेपी भी शामिल थी। लेकिन शराबबंदी के फैसले के बाद बिहार में अवैध शराब का व्यापार बढ़ने लगा। शराब का वो गैरकानूनी व्यापार शुरू हुआ, जिसे सोचा नहीं जा सकता था। इसी बीच ऐसी राजनीतिक उठापटक मची कि ढाई साल में ही 21 अप्रैल 1979 को कर्पूरी ठाकुर को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद राम सुंदर दास बिहार के मुख्यमंत्री बने। जैसे ही फिर नई सरकार आई शराबबंदी कानून को खत्म कर दिया गया। बिहार में एकबार फिर से शराब की बिक्री शुरू हो गई।
2016 में सीएम नीतीश की शराबबंदी
इसके बाद 2016 में सीएम नीतीश कुमार ने अचानक शराबबंदी लागू कर दी। पहले देसी शराब को ही बंद करने की पहल की गई थी। लेकिन सीएम नीतीश कुमार ने अचानक पूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर दी। इसके बाद से सीएम नीतीश कुमार अपने फैसले पर अडिग हैं। शराब रोकने को लेकर पुलिस को अति मुस्तैद करने के आरोप भी उन पर लगे हैं। लेकिन उन्होंने इस पर कोई काम्प्रोमाइज नहीं किया है।
अब शुरू हो चुकी है मुखर खिलाफत
शराबबंदी का फैसला ऐसा रहा है कि नेताओं ने अपनी सहूलियत से लिया है। कर्पूरी ठाकुर ने जब यह फैसला लिया था तो उन्होंने इसे अपने चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बनाया था। वहीं सीएम नीतीश कुमार ने भी शराबबंदी का वादा कर कोई चुनाव नहीं लड़ा। इन दोनों नेताओं ने अपनी संकल्पशक्ति से ये फैसले लिए। कर्पूरी ठाकुर की सरकार गिर गई तो शराबबंदी भी समाप्त हो गई। गनीमत है कि शराबबंदी लागू करने के बाद से लगातार नीतीश कुमार ही सीएम बने हुए हैं। लेकिन अब उनके खिलाफ उनके अपने सहयोगी नेताओं ने मुखर होकर बोलना शुरू कर दिया है।