झारखंड में लोजपा रामविलास (LJP Ramvilas) का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। सांसद राजेश वर्मा ने कहा कि अगर गठबंधन के साथ बात बनी तो थी नहीं तो दोस्ताना संघर्ष होगा। दरअसल, अपने संसदीय क्षेत्र में भ्रमण के दौरान सहरसा परिसदन पहुंचे खगड़िया सांसद राजेश वर्मा ने प्रेसवार्ता के दौरान झारखंड राज्य में होने वाले आगामी चुनाव में पार्टी के चुनाव लड़ने के निर्णय को दुहराया।
झारखंड में होने वाली आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा चुनाव लड़ने के स्टैंड को साफ करते हुए कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक अभी कुछ दिनों पहले हुई थी उसमें हमारे नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जी ने बड़ी स्पष्टता से कहा था कि हमारी पार्टी का विस्तार झारखंड में कमोबेश सभी विधानसभा में हुआ है और पार्टी के पास 40 विधानसभा में चुनाव लड़ने वाला मजबूत पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी है जो चुनाव लड़ना चाहता है।
पार्टी भी चाहती है जो मजबूत प्रत्याशी है उसको मौका देगी। लेकिन हमारी पार्टी और हमारे नेता चाहते हैं कि यदि सम्मानजनक सीट मिलती है तो पार्टी प्राथमिकता में जरूर गठबंधन के साथ जाएगी। और ऐसी स्थिति में यदि सम्मानजनक स्थिति में बातें नहीं बनी और हमारे नेता जिस सीटों पर चुनाव लड़वाना चाहती है वह नहीं मिली तो स्वाभाविक रूप से उन सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
वहीं पार्टी को छोड़कर भाजपा में जाने की खबर को अफवाह व विरोधोयों की साजिश बताते हुए कहा कि कम दिन की राजनीति मंजूर पर उसमें दगाबाजी मंजूर नहीं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जिस पार्टी ने सम्मान दिया उसके साथ दगाबाजी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह सब महागठबंधन की साजिश है. खासकर राजद द्वारा फैलाया गया एक भ्रम है, ताकि एनडीए में चिराग पासवान जी के बीच फूट हो और हमारे नेता का जो कद है वो कम हो लेकीन ये उनका भ्रम है। चिराग पासवान की बढ़ती लोकप्रियता से आरजेडी में कहीं न कहीं डर का माहौल है. इस तरह से जो वो ओछी राजनीति के तहत भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं उसका परिणाम शून्य है।
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वहीं जब उनसे पूछा गया कि जिस तरह से चिराग पासवान गठबंधन के हर फैसले का विरोध कर रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी गठबंधन के फैसले का विरोध नहीं किया बल्कि अपना सुझाव अवश्य रखा और रखना भी चाहिए। जब उन्होंने अपना सुझाव रखा उसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री जी ने उनकी बातों को समझा और उसकी स्वीकृति दी तो मुझे लगता है कि एक ईमानदार अलाएंड पार्टनर होने के नाते यह सबसे बड़ा प्रमाण है। यदि सरकार की तरफ स कोई चूक हो रही है या कमी दिख रही है तो उसे सरकार के समक्ष स्पष्टता से रखना अलाएंड पार्टनर का काम होता है. चिराग पासवान की बात सरकार को सही लगी तब न माननीय प्रधानमंत्री ने संशोधन किया।