राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर एनडीए और इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के तालमेल का पेच अब भी बरकरार है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव में गिनती के दिन बाकी रहने के बावजूद घटक दलों ने सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. साथ ही पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इस बार लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी रंग नहीं दिख रहा है.
बीजेपी का 40 सीटों पर दावा
हालत यह है कि एनडीए की तरफ से भाजपा नेता सभी 40 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने का दावा तो करते हैं, लेकिन अब तक एनडीए के घटक दलों को लेकर स्थिति अस्पष्ट है. पारस और चिराग गुट आमने-सामने हैं तो मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को लेकर असमंजस की स्थिति है. दरअसल बिहार में एनडीए के घटक दलों को लेकर अब तक आधिकारिक घोषणा तक नहीं हुई है. ऐसे में सीट शेयरिंग तो बड़ा मसला है ही.
इंडिया गठबंधन में घटक दलों की स्थिति स्पष्ट
दूसरी तरफ राज्य में इंडिया गठबंधन में घटक दलों की पहचान घोषित है, पर सीटों की तस्वीर साफ नहीं हो पायी है. जदयू नेताओं ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि जदयू ने पिछला लोकसभा चुनाव 17 सीटों पर लड़ा, इसमें से 16 पर जीत मिली. जदयू की दावेदारी पिछले चुनाव की सभी 17 सीटों पर है. साथ ही जदयू नेताओं ने कहा है कि राजद का गठबंधन पहले से कांग्रेस सहित वामदलों से रहा है. ऐसे में राजद को कांग्रेस सहित वामदलों से सीट शेयरिंग स्पष्ट कर लेना चाहिए. इसके बाद जदयू और राजद नेता मिलकर इंडिया गठबंधन में सीटों के मुद्दे पर समझौता कर लेंगे.
जदयू-राजद के बीच इन सीटों पर फसा है पेंच
सूत्रों द्वारा मिली नयी जानकारी के मुताबिक राजद ने जदयू को पिछले लोकसभा चुनाव में जीती हुई 13 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने की सलाह दी है. बाकी की 27 सीटें वह अपने और गठबंधन के बाकी घटक दलों के लिए चाहता है. जिन तीन सीटिंग सीटों को छोड़ने का प्रस्ताव जदयू को दिया जा रहा है, उनमें जहानाबाद, बांका और सीवान शामिल हैं. यह तीन सीट फिलहाल जदयू की सीटिंग है. इसे जदयू हर हाल में अपने पास ही रखना चाहता है.