चुनाव बाद राज्य में दलित-गरीबों-महिलाओं-अल्पसंख्यकों पर दमन, चौतरफा हिंसा और अपराध आज चरम स्तर पर पहुंच गया है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को उसका जवाब देना होगा। 20 सालों से वे बिहार में राज कर रहे हैं। विकास व सुशासन उनके प्रचार के मुख्य एजेंडे हुआ करते थे। लेकिन पुलों के ढहने की शृंखलाबद्ध घटनाएं भारी लूट व भ्रष्टाचार के सच को बेनकाब कर रही हैं, तो अपराध की भयावह व लगातार घट रही घटनाओं ने सुशासन व विकास के इर्द-गिर्द बनाई गई उनकी छवि को ढाह दिया है। उक्त बातें माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही।
संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ माले पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, विधान पार्षद शशि यादव, विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता व गोपाल रविदास भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के पिता की नृशंस हत्या स्तब्ध करने वाली है। 17 जुलाई को दरभंगा पहुचंकर उन्होंने मुकेश सहनी से मुलाकात की और शोक-संवेदना प्रकट की।
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माले महासचिव ने आगे कहा कि सामाजिक-आर्थिक सर्वे के उपरांत बिहार विधानसभा के भीतर नीतीश कुमार द्वारा तकरीबन 95 लाख गरीब परिवारों के लिए 2 लाख रु. सहायता राशि की गई घोषणा पर माले एक धारावाहिक आंदोलन चलाएगा। हक दो-वादा निभाओ अभियान के तहत हम इसे मोदी सरकार के 15 लाख रु. के जुमले की तरह कोई दूसरा जुमला नहीं बनने देंगे।
दरअसल, 95 लाख परिवार गरीब नहीं बल्कि महागरीब हैं, जिनकी मासिक आमदनी 6000 रु. से भी कम है। अभी तक हमारी जानकारी के मुताबिक इस दिशा में कोई शुरूआत नहीं हुई है। आवेदन के लिए 72000 रु. से नीचे का आय प्रमाण पत्र चाहिए, लेकिन एक लाख से नीचे का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है। ऐस में महागरीब परिवार आवेदन ही नहीं कर सकते। अगस्त के महीने में ग्राम बैठकें आयोजित करके गरीबों को संगठित किया जाएगा। गरीबी का आय प्रमाण पत्र मिले, इसके लिए पूरे बिहार के प्रखंडों पर 21-23 अगस्त को आंदोलन संगठित किया जाएगा।
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इस बार का चुनाव का जनादेश बुलडोजर राज के खिलाफ है, लेकिन बिहार में वही सबकुछ चल रहा है। जिस जमीन पर लोग बरसों से बसे हैं, उन्हें उजाड़ा जा रहा है, जिस जमीन का पर्चा मिला है, वहां से उजाड़ा जा रहा है। इस साजिश के खिलाफ हम व्यापक आंदोलन का निर्माण करेंगे। तमाम घोषणाओं के बावजूद बड़ी आबादी को पक्का मकान नहीं मिला है।
गरीबों के साथ-साथ विकास, किसान, महिला, छात्र-युवा के सवालों पर जनसंवाद होंगे। इस जनसंवाद में संविधान व लोकतंत्र का भी मुद्दा होगा। भूमिहीनों को 5 डि. जमीन, सबको पक्का मकान, एमएसपी की गारंटी, सिंचाई साधन, कृषि विकास, स्कीम वर्कर्स-महिला, रोजगार, पलायन, शिक्षा-स्वास्थ्य, सड़क, ग्रामीण विकास आदि जनसंवाद के प्रमुख मुद्दे होंगे। भाजपा ने संविधान के साथ हत्या शब्द जोड़ दिया। क्या देश में संविधान जिंदा नहीं है? यह संविधान के लिए अपने आप में बड़ा खतरा है। हम संविधान व लोकतंत्र को लेकर विमर्श जारी रखेंगे। हमारी कोशिश होगी कि जनता की जागरूकता व निगरानी बनी रहे।
विधानसभा सत्र के दौरान उठेंगे जनता के मुद्दे
22 से 26 जुलाई तक होने वाले विधानमंडल सत्र के दौरान नीट घोटाला, मुजफ्फरपुर में बेरोजगारों से ठगी व लड़कियों का यौन शोषण कांड, रसोइया, राज्य में पुल टूटने की धारावाहिक घटनाओं और चुनाव बाद की हिंसा आदि सवालों को प्रमुखता से उठाया जाएगा। 23 जुलाई को आइसा, 24 जुलाई बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ और 25 जुलाई को खेग्रामस की ओर से विधान सभा पर प्रदर्शन की तैयारी है। किसान महासभा की ओर से 19 जुलाई को बिहार के सभी प्रखंड मुख्यालयों पर खेती के लिए 24 घंटे बिजली और नहरों में पानी की मांग पर कार्यक्रम किया जाएगा।