पटना निवासी शंभू शरण सिंह ने साल 2002 में गणित से ग्रेजुएशन किया था। लेकिन अब तक उन्हें मगध यूनिवर्सिटी से डिग्री नहीं मिली है। डिग्री लेने की भागमभाग में अब तक एक लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। कुलपति और परीक्षा नियंत्रक से मिलने के बाद भी समाधान नहीं निकला।
लेना पड़ा RTI का सहारा
शंभू ने बताया की 31 अक्टूबर 2002 को उन्होंने गणित से स्नातक किया था। इतने सालों के बाद भी यूनिवर्सिटी से मूल प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। आगे उन्होंने बताया कि उस समय के कुलपति और परीक्षा नियंत्रक से मिले पर कोई बात नहीं बनी। तब जाकर उन्होंने RTI का सहारा लिया और जिसके बाद कॉलेज ने कहा “फिर से आवेदन और शुल्क जाम करे”। लेकिन परिणाम वहीं रहा, डिग्री नहीं मिली।
3 बार आरटीआई का किया प्रयोग
शंभु ने तीन बार आरटीआई फाइल किया तब जाकर परीक्षा नियंत्रण कार्यालय से फोन आया कि डिग्री तैयार है। जब डिग्री मिली तब उसमें तारीख गलत पाई। इस मामले में परीक्षा नियंत्रण ने कहा कि छात्र की समस्या दूर की जाएगी। हालांकि, समस्या दूर करते करते 20 साल लग गए लेकिन परिणाम अब भी वही।