बिहार के राजनीति में इस वक्त भाजपा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संकल्पों को लेकर जमकर सियासत हो रही है। एक और भाजपा ने अब कभी भी नीतीश कुमार के साथ हाथ ना मिलाने का संकल्प लिया है। वहीं उसके जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्रण लिया कि वो मर जाएंगे पर कभी भी भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। नीतीश कुमार के इस प्रण को लेकर भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि नीतीश कुमार की उम्र काफी बढ़ गई है इसलिए उनकी यादास्त कमजोर हो गई है। उनको भुलने की बीमारी है।
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“बूढ़े हो गए हैं नीतीश“
पूर्व मंत्री और भाजपा नेता जीवेश मिश्र ने नीतीश कुमार की यादास्त कमजोर होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बूढ़े हो गए हैं। उन्हें भुलने की बीमारी हो गई है। क्योंकि जब 2013 में वो भाजपा का साथ छोड़कर गए थे तब उन्होंने भाजपा के साथ ना आने की कसम खाई थी। उन्होंने कहा था कि मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। बाद में वो अपनी ही बात भूल गए और भाजपा के साथ आ गए। नीतीश कुमार सत्ता के लोभी व्यक्ति हैं इसलिए वो अपनी ही बात पर टिके नहीं रहते हैं। उन्होंने मीडिया वालों से कहा कि आपलोगों को नीतीश कुमार को 2013 वाले कसम के बारे में याद दिलाना चाहिए।
‘नीतीश के लिए लगा नो एंट्री का बोर्ड‘
जीवेश मिश्र ने कहा कि साल 2017 में जब नीतीश कुमार को ये पता चल गया कि राजद के साथ रहना ठीक नहीं है तब वो पलटी मारकर भाजपा में आ गए। लेकिन अबकी बार भाजपा ने नीतीश कुमार के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया है। भाजपा किसी भी कीमत पर अब नीतीश कुमार के साथ सरकार नहीं बनाएगी। साथ ही उन्होंने राजद की ओर इशारा करते हुए कहा कि नीतीश कुमार जिसके भी साथ जाएंगे उनका डूबना निश्चित है।
‘नीतीश को जनता मिट्टी में मिला देगी‘
जीवेश मिश्र यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश भले अपने बातों को भुल जाते हो पर जनता ने सब याद है। 2024 और 2025 के चुनाव में जनता नीतीश कुमार को मिट्टी में मिला देगी। वही नीतीश कुमार द्वारा चुनाव में भाजपा को 2015 के चुनाव का याद दिलाये जाने को लेकर भी जीवेश मिश्र ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यदि नीतीश कुमार 2015 की बात कर रहे हैं तो उन्हें 2014 का चुनाव भी याद करना चाहिए। जिसमें उनकी पार्टी अपने बल बूते पर पूरे बिहार में सिर्फ दो लोकसभा सीट जीत सकी थी। जिस पार्टी का मुख्यमंत्री सत्ता में शासन कर रहा हो वो पार्टी की बिहार में 40 में से 36 सीटों पर जमानत नहीं बची थी ऐसे में मुख्यमंत्री को उसी समय इस्तीफा दे देना चाहिए था।