बिहार कृषि प्रधान राज्यों में शामिल है। लेकिन, प्रदेश के 12 जिलों में शीत गृह( कोल्ड स्टोरेज) की व्यवस्था ही नहीं है। नतीजा किसानों के उत्पाद बर्बाद होते हैं। किसानों के कच्चे फसल जैसे सब्जी,आलू आदि का नुकसान होता है। ऐसे में आज कृषि मंत्री ने कोल्ड स्टोरेज मालिकों के साथ बैठक की साथ ही उनकी समस्या सुनी। बिहार सरकार के कृषि मंत्री मंगल पांडे ने कोल्ड स्टोरेज मालिकों के साथ बैठक की।
कोल्ड स्टोरेज मालिकों के साथ बैठक के दौरान कृषि मंत्री ने कहा कि, किसानों के फसल को बचाने की अवधि के लिए कोल्ड स्टोरेज को और बेहतर किया जा रहा है। किसानों को आर्थिक रूप से और सशक्त हो इसके लिए कोल्ड स्टोरेज को और सुदृढ़ करने की जरूरत है। बड़े कोल्ड स्टोरेज नहीं छोटे-छोटे कोल्ड स्टोरेज भी किसानों के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि, राज्य में कोल्ड स्टोरेज की संख्या पहले से कम हुआ है। कोल्ड स्टोरेज मालिकों की समस्या को दूर करने के लिए सरकार काम कर रही है।
कृषि मंत्री ने कहा कि, कोल्ड स्टोर इकाई स्थापना में 25 लाख रुपए की खर्च आता है। सरकार कोल्ड स्टोरेज की स्थापना पर 12:50 लख रुपए खर्च दे रही है। उन्होंने कहा कि बारिश नहीं होने के कारण किसानों को डीजल अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 150 करोड़ रुपए की राशि डीजल अनुदान के लिए सरकार खर्च कर रही है। सरकार ने डीजल अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उन्होंने बताया कि, बिहार के 18 जिलों में 60% से अधिक धान की रोपनी हो चुकी है। मगर अन्य जिलों में बारिश कम होने से धान की रोपनी प्रभावित हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष रूप से विभाग को किसानों को डीजल अनुदान देने के लिए निर्देशित किया है। जल्द से जल्द किसानों को डीजल अनुदान मिले इसके लिए विभाग आवेदन पर कार्रवाई शुरू कर चुकी है।
बैठक में खुलासा हुआ कि बिहार में कई ऐसे जिले हैं,जहां पहले तो कोल्ड स्टोरेज था,अब बंद हो गए। बिहार के 12 ऐसे जिले हैं, जहां कोल्ड स्टोरेज नहीं है। जिसमें मधुबनी, नवादा, औरंगाबाद, बांका, सहरसा, जमुई मुंगेर, जहानाबाद, लखीसराय, शेखपुरा, अरवल और शिवहर शामिल है। बिहार में कुल 202 कोल्ड स्टोरेज हैं। 12.30 लाख मैट्रिक टन फसल सुरक्षित रखे जा रहे हैं। पांच ऐसे कोल्ड स्टोरेज हैं जिसे को ऑपरेटिंग समिति चलते हैं। जबकि 197 कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट है।