बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव में प्रचार के आखिरी दिन दोनों मुख्य गठबंधनों ने ताकत झोंक दी है। तीन नवंबर को मतदान होना है। इसके लिए एक नवंबर को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है। सत्तापक्ष की ओर से डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव एक बार फिर गोपालगंज के दौरे पर जा रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार वीडियो कांफ्रेंसिंग से जनता को संबोधित करेंगे। तो दूसरी ओर विपक्ष ने सुशील मोदी के साथ चिराग पासवान को भी प्रचार के आखिरी दिन गोपालगंज जीतने की जंग में उतार दिया है। वैसे इन दोनों सीटों पर चुनाव की महत्ता की बात करें तो इसमें हार से न सत्तापक्षा की कुर्सी पर असर पड़ेगा। और न ही विपक्ष जीतकर सत्ता में लौट आएगा। लेकिन इसके बावजूद भाजपा और राजद ने अपने उम्मीदवारों के समर्थन में हर दांव खेल दिया है।
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भाजपा के लिए जीत जरुरी
दो सीटों के उम्मीद्वारों की बात करें तो इसमें जीत भाजपा के लिए जरुरी है। मोकामा ऐसी सीट है, जहां से भाजपा पहले जीती नहीं है। तो दूसरी ओर गोपालगंज ऐसी सीट है, जहां 17 साल से भाजपा ही बादशाह है। गोपालगंज सीट भाजपा के लिए हर हाल में जरुरी है क्योंकि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जुगलबंदी पर हमलावर भाजपा सीट जीत कर ही जवाब दे सकती है। मोकामा में भाजपा को जीत हासिल नहीं भी हो तो भी चलेगा। लेकिन गोपालगंज में भाजपा के लिए हार करारी चोट साबित हो सकती है।
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राजद चाहता है गोपालगंज पर कब्जा
गोपालगंज सीट पर राजद के हाथ पिछले 17 साल में तो खाली हैं लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं रहा। साधु यादव यहीं से विधायक रहे हैं। दूसरी ओर राजद की स्थापना के पहले राम अवतार साह भी लालू के दल से चुनाव जीते थे। इसके अलावा गोपालगंज डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का घर है। लेकिन उनके परिवार से किसी ने यहां चुनाव नहीं लड़ा। तेजस्वी इस आलोचना से बाज आना चाहते हैं और यह तभी संभव है जब गोपालगंज की सीट पर राजद का कब्जा हो जाए।