पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन प्रखण्ड में 1 करोड़ 59 लाख रुपये की लागत से बन रहे अमवा पुल के ढहने की घटना की जांच के लिए मुजफ्फरपुर की एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी) टीम और पुलिस सोमवार को घटनास्थल पर पहुंची। जांच के दौरान, टीम को कई महत्वपूर्ण सबूत गायब मिले, जिससे पुल निर्माण एजेंसी पर लापरवाही का आरोप लग रहा है।
- एफएसएल टीम ने पुल निर्माण एजेंसी द्वारा सबूतों को हटाने पर सवाल उठाए हैं।
- एजेंसी ने रातोंरात गिरे पुल का मलबा भी हटा दिया था।
- ग्रामीणों ने घटिया निर्माण कार्य का आरोप लगाते हुए एजेंसी के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
शनिवार रात ढलाई के बाद 17.95 मीटर लंबा पुल ढह गया था। इस घटना ने आसपास के ग्रामीणों को झकझोर कर रख दिया था। एफएसएल टीम जांच करने पहुंची तो पाया कि पुल निर्माण कंपनी ने घटनास्थल से कई सबूत हटा दिए थे, जिसमें ढहने वाले हिस्से का मलबा भी शामिल था। एजेंसी द्वारा सबूतों को हटाने पर एफएसएल टीम ने सवाल उठाए हैं। टीम ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद भी सबूतों को हटाना गलत है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पुल का निर्माण घटिया सामग्री और लापरवाही से किया गया था। पुल का निर्माण धीरेंद्र कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा था। जिसका शिलान्यास 10 मार्च को तत्कालीन सांसद रमा देवी ने किया था।
अब आगे क्या:
- एफएसएल टीम द्वारा एकत्र किए गए सबूतों का विश्लेषण किया जाएगा।
- पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- ग्रामीणों की मांग है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।