13 जून 1998 को बिहार में एक हत्या हुई। जिसकी हत्या हुई वो बिहार सरकार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद थे। जिन पर हत्या का आरोप लगा, वे भी बाद में राजनीति के माहिर खिलाड़ी बनते गए। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के बाहुबली पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में फैसला सुना दिया है। इस फैसले में जिस मुन्ना शुक्ला को सजा मिली है, वो पूर्व विधायक हैं। जो छूट गए हैं, वो भी पूर्व विधायक और पूर्व सांसद हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मुन्ना शुक्ला दोषी पाए गए हैं। मुन्ना शुक्ला 10 वर्षों तक बिहार विधानसभा के सदस्य यानि विधायक रहे हैं। उन्होंने लोकसभा का सदस्य यानि सांसद बनने की कोशिश भी की लेकिन वो कोशिश नाकाम रही।
वहीं दूसरी ओर बृज बिहारी हत्याकांड में जो बरी हुए हैं, उनमें पहला नाम सूरजभान सिंह का है। सूरजभान सिंह विधायक भी रहे हैं और सांसद भी। जबकि छूटने वालों में अगला नाम राजन तिवारी का है जो बिहार विधानसभा के सदस्य यानि विधायक रह चुके हैं। इस हत्याकांड में शामिल सभी लोगों का इतिहास कहीं न कहीं अपराध से जुड़ा रहा है। बाद में अपराध के दाग खादी में छुप गए। लेकिन गाहेबगाहे ये बाहर आते रहते हैं। मुन्ना शुक्ला के मामले में यही हुआ है। जी कृष्णैया हत्याकांड में दोषी होने से बचे मुन्ना शुक्ला को बृज बिहारी हत्याकांड में सजा मिल गई है।
चिराग पासवान की पार्टी से रहा है सबका कनेक्शन
वैसे राजनीति के कनेक्शन इतने सीधे नहीं हैं। क्योंकि जिस बृज बिहारी प्रसाद की हत्या हुई थी, वे राजद की सरकार में मंत्री थे। जबकि उनकी पत्नी रमा देवी भाजपा के टिकट पर दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं। जो मुन्ना शुक्ला राजद सरकार में मंत्री रहे बृज बिहारी हत्याकांड में दोषी पाए गए हैं, उन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव राजद के टिकट पर ही चुनाव लड़ा था। सजा से बचने वालों में सूरजभान सिंह लोजपा के सांसद रह चुके हैं, जिसमें कभी मुन्ना शुक्ला भी थे। दूसरी ओर छूटने वालों में राजन तिवारी भी राजनेता रह चुके हैं और उनका कनेक्शन भी लोजपा से रहा है। वे लोजपा के टिकट पर ही चुनाव जीते थे और गोविंदगंज से विधायक बने थे। इसके अलावा राजन तिवारी के भाई राजू तिवारी अभी चिराग पासवान की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।