मुजफ्फरपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन ने दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) के मामलों में लापरवाही बरतने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है और सभी अंचलाधिकारियों को अनावश्यक म्यूटेशन को रिजेक्ट न करने की हिदायत दी है। डीएम ने कहा कि दाखिल-खारिज के मामलों के निष्पादन के प्रति अत्यंत गंभीर और संवेदनशील होने की जरूरत है। उन्होंने सभी सीओ को म्यूटेशन के मामलों के निष्पादन का टास्क भी दिया है और 45 दिन का समय देते हुए 10 सितंबर तक शत-प्रतिशत निष्पादन का सख्त निर्देश दिया है।
जिले में 63 दिनों से अधिक लंबित दाखिल-खारिज के मामले 18161 हैं। म्यूटेशन के मामलों की समीक्षा में पाया गया कि जून में 80.61 प्रतिशत मामलों का निष्पादन किया गया है। इसमें मीनापुर 47 प्रतिशत, गायघाट 41 प्रतिशत, बोचहां 69 प्रतिशत, मोतीपुर 62 प्रतिशत, सरैया 48 प्रतिशत रहा। वहीं, सराहनीय प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों में मुशहरी 105 प्रतिशत, बंदरा 151.72 प्रतिशत, सकरा 99.61 प्रतिशत, साहेबगंज 98.77 प्रतिशत, काँटी 93.56 प्रतिशत और पारू 92.40 प्रतिशत शामिल हैं।
डीएम ने खराब प्रदर्शन वाले कर्मचारियों को निलंबित करने की चेतावनी भी दी है। अपर समाहर्ता राजस्व को निर्देश दिया गया है कि ऐसे पांच कर्मचारियों को चिन्हित करें जिनका प्रदर्शन न्यून है और कार्य में कोई सुधार नहीं है। इन पांच कर्मचारियों को शो कॉज नोटिस जारी करने और जवाब असंतोषजनक पाए जाने पर उन्हें निलंबित करने की कठोर कार्रवाई करने को कहा गया है ताकि कार्य संस्कृति में सुधार हो सके।
समीक्षा में पाया गया कि भूमि मापी के 180 मामले और एलपीसी निर्गत करने के 449 मामले लंबित हैं। अभियान बसेरा की समीक्षा में डीएम ने सभी सीओ को गरीब भूमिहीन परिवारों के प्रति संवेदनशील होने और सरकारी दायित्व के अनुरूप भूमि उपलब्ध कराने को कहा।
इस बैठक में उप विकास आयुक्त आशुतोष द्विवेदी, सहायक समाहर्ता डॉ. आकांक्षा आनंद, अपर समाहर्ता राजस्व संजीव, अपर समाहर्ता आपदा मनोज, अनुमंडल पदाधिकारी पूर्वी अमित कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी पश्चिमी बृजेश सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे।