लोकसभा चुनाव 2024 में आज अंतिम चरण में नालंदा सीट (Nalanda Loksabha Seat) पर मतदान हो रहा है। पिछले कई लोकसभा चुनावों से नालंदा में नीतीश कुमार का ही सिक्का चल रहा है। यानी जिस भी उम्मीदवार के सिर नीतीश का हाथ होता है, वह जीत जाता है। यहां से नीतीश कुमार की पार्टी ने मौजूदा सांसद कौशलेंद्र कुमार पर ही अपना भरोसा जताया है। वह यहां से तीन बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं। इस बार लगातार चौथी बार विजय पताका फहराने के लिए जोर लगा रहे हैं। उधर, इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट भाकपा माले के खाते में है। यहां से CPIML ने संदीप सौरभ को अपना उम्मीदवार बनाया है।
सीएम नीतीश कुमार की नालंदा लोकसभा सीट पर पकड़ इतनी मजबूत है कि लोकसभा चुनाव 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर थी, उस समय भी यहां जदयू उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। इस बार के चुनावी रण में वाम दल महागठबंधन के साथ उतरी है। ऐसे में राजद का एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण चुनावी जंग को रोचक और संघर्षपूर्ण बना सकता है। फिर भी कहा जा सकता है कि संदीप सौरभ के लिए यह लोकसभा चुनाव बड़ी अग्निपरीक्षा है। संदीप सौरभ जेएनयू छात्र संघ के महासचिव रह चुके हैं। वह वर्तमान में पालीगंज के विधायक हैं।
नालंदा का कैसा रहा चुनावी इतिहास
पटना से अलग होकर नालंदा 1972 में एक अलग जिला बना। इसके पहले के लोकसभा चुनावों में नालंदा पटना जिले का ही हिस्सा बना रहा। यहां पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। उस समय पटना सेंट्रल ही वर्तमान का नालंदा का लोकसभा क्षेत्र था। पटना सेंट्रल के नाम से हुए उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कैलाशपति सिन्हा ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदावर चंद्रिका सिंह को 46 हजार 401 मतों से हराया था। 1957 के आम चुनाव में पटना से अलग होकर नालंदा लोकसभा को अपना नाम मिला।
काराकाट और सासाराम में चुनाव की तैयारी पूरी, EVM लेकर मतदान केंद्र रवाना हुए मतदानकर्मी
इस चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट से कैलाशपति सिन्हा ने जीत दर्ज की थी। नालंदा लोकसभा सीट से पहले चुनाव से लेकर 1971 तक यानी छठी लोकसभा तक लगातार कांग्रेस की जीत मिली। इसके बाद यहां से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा रहा। लोकसभा चुनाव 1996 में नालंदा से समता पार्टी के टिकट पर जार्ज फार्नाडिंस ने जीत दर्ज कर सीपीआई के गढ़ पर कब्जा जमाया। अभी इस सीट पर जदयू का कब्जा है।
क्या है जातीय समीकरण
नालंदा लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 22 लाख 37 हजार 750 है. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 90 हजार 971 और महिला मतदाताओं की संख्या 10 लाख 46 हजार 709 है। नालंदा लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कुर्मियों की बहुलता है। यहां करीब 26 फीसदी मतदाता कुर्मी हैं। कुर्मी मतदाताओं की संख्या करीब 4 लाख 50 हजार है। यही मतदाता जदयू के कोर वोटर हैं। यहां दूसरे नंबर पर यादव हैं, जिनकी संख्या करीब 3 लाख 35 हजार है। ये राजद के कोर वोटर माने जाते हैं।
Loksabha Election 2024 : बिहार की 8 सीटों पर कल होगा मतदान… इन तीन सीटों पर है त्रिकोणीय लड़ाई
मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 2 लाख के करीब है, जो राजद और कांग्रेस के वोटर थे, बाद में जदयू ने इसमें सेंधमारी की। नालंदा लोकसभा में करीब 1 लाख 85 हजार बनिया मतदाता हैं, जो भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं। पासवान मतदाताओं की संख्या लगभग 1 लाख 35 हजार है। इन्हें लोजपा का कोर वोटर माना जाता है। कुशवाहा मतदाताओं की संख्या एक लाख से ज्यादा है। ये साइलेंट वोटर के तौर पर देखे जाते हैं। वैसे यहां हर चुनाव में सवर्ण मतदाता भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं।