बिहार में भ्रष्टाचार पर रोकथाम लगाने के लिए सरकार नया कानून लाने की तैयारी में है। जिसके तहत सरकारी महकमों में होने वाली गड़बड़ी पर लगाम लगाया जाएगा। साथ ही माफिया तत्वों से निपटने के लिए भी यह कानून कारगर साबित होगा। सीएम नीतीश द्वारा इस कानून के प्रारूप को स्वीकृति दे दी गई है। आज यानि 28 फरवरी को इसे बैठक में प्रस्तावित किया जाएगा। इसके तहत एक नई जांच एजेंसी की परिकल्पना कानून में प्रस्तावित किया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, बिहार में क्राइम के ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इसमें बालू माफिया, शराब कारोबारी से लेकर सरकारी बाबू तक शामिल मिल रहे है। ऐसे में एक की तीर से अपराध और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए नया कानून लाया जा रहा है। इससे प्रदेश में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की सख्ती और बढ़ेगी। बताया जा रहा कि नया कानून प्रभावी होने के बाद भ्रष्टाचार को गंभीर अपराध की श्रेणी में रख कर सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अब अपराध की सजा पांच से सात साल निर्धारित की जा रही है। इस कानून को प्रभावी बनाने के लिए सीसीए (क्राइम एंड कंट्रोल एक्ट) में संशोधन किया जाएगा। जिससे राज्य में हो रही रिश्वत खोरी पर लगाम लगेगा। साथ ही आरोपी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगा।
बता दें कि राज्य में पहले से भ्रष्टाचार से निपटने के लिए तीन-तीन एजेंसियां राज्य में कार्यरत हैं। इनमें आर्थिक अपराध इकाई, निगरानी ब्यूरो और विशेष निगरानी इकाई है। सूत्र बताते हैं कि इन जांच एजेंसियों की शक्तियां और बढ़ाई जा सकती है। साथ ही नई जांच एजेंसी की परिकल्पना भी नए कानून में प्रस्तावित है।