बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियों में जुटे हुए हैं। भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए नीतीश कुमार एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। अभी तक वो क्यों बार कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। पिछले साल अगस्त में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से वो विपक्षी एकता की मुहिम में जुड़े हुए हैं। हालांकि विपक्षी को एकजुट करने का नीतीश कुमार का भागीरथ प्रयास किस हद तक सफल होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन इनसब के बीच नीतीश कुमार की अपनी पार्टी जदयू में ही टूट हो रही है।
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JDU पर उपेंद्र कुशवाहा की नजर
दरअसल, महागठबंधन की सरकार बनने के बाद जदयू में सबसे बड़ी टूट उपेंद्र कुशवाहा के रूप में हुई थी। उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी बना ली। अब वो नीतीश कुमार को ही चुनौती देने की तैयारी में लगे हुए हैं। उपेंद्र कुशवाहा जदयू को तोड़ने क कोई भी मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं। आज सुबह-सुबह जदयू में बड़ी टूट हुई। शेखपुरा में जदयू के 40 से अधिक कार्यकर्ता पार्टी छोडकर राष्ट्रीय लोक जनता दल में शामिल हो गए। खुद उपेंद्र कुशवाहा ने उन्हें रालोजद की सदस्यता दिलाई। जदयू के लिये यह बड़ा झटका माना जा रहा है। बता दें कि जदयू छोड़कर आरएलजेडी में शामिल होने वालों में पूर्व विधायक और वर्तमान जदयू के जिलाध्यक्ष रणधीर कुमार सोनी के बेहद निकटतम सहयोगी और जिला उपाध्यक्ष एफनी पंचायत के पूर्व मुखिया राजेश रंजन उर्फ गुरु मुखिया शामिल है।