बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने गुरुवार को एक बार फिर राजनीति हलकों में तूफान ला दिया है। दरअसल, नीतीश कुमार जो बिहार में राजद और कांग्रेस के साथ सरकार चला रहे हैं, वो भाजपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं पर खासे मेहरबान दिखे। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए भाजपा नेताओं से ताउम्र दोस्ती कायम रखने का वादा भी किया। इस दोस्ती की बात पर नीतीश कुमार के साथ सभागार में बैठे भाजपा नेता भी मुस्कुराते दिखे। बात यहीं तक रहती तो सबकुछ नियंत्रण में रहता लेकिन नीतीश कुमार ने आगे कांग्रेस के पूर्व सरकार की आलोचना भी कर दी। जिसके बाद राजनीतिक कयासबाजी शुरू हो रही है।
दीक्षांत समारोह में शामिल हुए नीतीश
दरअसल, महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा से उनकी दोस्ती तब तक खत्म नहीं होगी, जब तक वे जिंदा हैं। उन्होंने आगे कहा कि अलग हैं तो क्या हुआ लेकिन दोस्ती हमेशा बरकरार रहेगी। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा- जितने लोग हमारे हैं, सब साथी हैं, छोड़िए ना हम अलग हैं, आप अलग हैं तो इससे क्या हुआ, लेकिन हमारा दोस्तिया थोड़े खत्म होगा। जबतक हम जीवित रहेंगे आप लोगों के साथ ही हमारा संबंध रहेगा। चिंता मत करिए। आपके साथ इतना दिन हम रहे हैं और आगे भी हमारा संबंध बना रहेगा। यह कहते हुए नीतीश कुमार हंसने लगे और दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों ने जमकर ताली बजाई। नीतीश कुमार ने कहा कि आप सभी हमारे मित्र हैं, सहयोगी हैं, साथी हैं। सब लोग मिलकर साथ बैठकर तेजी से काम सब करवा दीजिए तो बहुत अच्छा रहेगा तो मुझे बहुत खुशी होगी।
कांग्रेस सरकार को घेरा
इस दौरान नीतीश कुमार ने कांग्रेस की पूर्व में रही केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि 2006 और 2007 में ही हम उस समय की सरकार (मनमोहन सिंह की सरकार) से महात्मा गांधी की धरती पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी की मांग करते रहे। लकिन बात नहीं सुनी गई और उन्होंने नहीं दिया। पर 2014 में जब नई सरकार (नरेंद्र मोदी की सरकार) बनी तो, मैनें मांग किया। मेरे विशेष अनुरोध को मानते हुए इस सरकार ने दे दिया तो अच्छा हुआ।
वैसे नीतीश कुमार का यह नया रूप कई तरह की संभावनाओं और आशंकाओं को जन्म दे रहा है। एक तरफ नीतीश कुमार की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बार बार कहते हैं कि भाजपा से नीतीश कुमार कभी दोस्ती नहीं कर सकते। तो दूसरी ओर कांग्रेस नीतीश कुमार के साथ भाजपा के खिलाफ लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में है। जबकि राजद की नीतीश कुमार से यही उम्मीद है कि भाजपा से दोस्ती उनकी टूटी रहे और तेजस्वी यादव सीएम बन जाएं।