किसी भी समाज के विकास का सीधा सम्बन्ध उस समाज की महिलाओं के विकास से जुड़ा होता है। महिलाओं के विकास के बिना व्यक्ति, परिवार और समाज के विकास की कल्पना भी नही की जा सकती है। बिहार महिला सशक्तिकरण के मामले में देश के अन्य राज्यों से आगे है। इसका श्रेय जाता है बिहार के विकास पुरुष नीतीश कुमार को। आजादी के बाद महिला सशक्तिकरण और महिला हित में जितना काम नीतीश कुमार ने किया उतना काम किसी अन्य मुख्यमंत्री ने बिहार में नहीं किया है। आज बिहार में इसी का नतीजा है कि महिला पुलिसबल में जितनी महिलाओं की संख्या है उतना देश के किसी भी राज्य में नहीं है। नीतीश सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाये हैं। महिला विकास के लिए राज्य में विभिन्न सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। नीतीश सरकार महिला विकास को लेकर कितनी गंभीर है। विभिन्न योजनाओं के द्वारा आज बिहार के महिलाओं को समाज में अच्छी पहचान और उनके विकास के लिए तरह-तरह के महिला अनुकूल वातावरण तैयार किया है। इससे ने केवल महिलाओं को आगे बढ़ने की शक्ति मिलती है परन्तु उनके परिवार वालो को भी प्रोत्साहन मिल रही है। बिहार सरकार लगातार नारी उत्थान की दिशा में काम कर रही है। बिहार के अंदर पंचायत में महिलाओं को 50% और सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण दिया गया जो देश में एक मिसाल है।
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आरक्षण देकर महिलाओं को सशक्त बनाया
महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक प्रगति के लिए नीतीश कुमार की पहल पर बिहार राज्य महिला सशक्तिकरण नीति लागू किया गया।। प्राथमिक शिक्षक नियोजन में 50% स्थान महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान है। बिहार पंचायत राज अधिनियम-2006 के तहत सभी कोटियों में एकल पदों सहित सभी पदों पर महिलाओं के लिए ग्राम पंचायत एवं नगर निकाय के चुनाव में 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया। बिहार में उठाए गए इस कदम देश के कई राज्यों में बाद में किया गया। इसके अलावे पुलिस सब-इंस्पेक्टर एवं कांस्टेबल की नियुक्ति में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। “आरक्षित रोजगार महिलाओं का अधिकार” निश्चय के तहत राज्य के सभी सरकारी नौकरी में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है।वर्ष 2006 में महिला सशस्त्र बटालियन का गठन किया गया। वहीं 2014 में अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए बिहार स्वाभिमान बटालियन का गठन भी किया गया।
जागरुक हुई महिलाएं
महिलाओं के सामाजिक परिवर्तन को लेकर बिहार सरकार ने कई कदम उठाए हैं। महिलाओं की मांग पर ही मुख्यमंत्री ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी का निर्णय लिया था। शराबबंदी लागू होने के बाद कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा भी गड़बड़ी करने की शिकायत मिलती है लेकिन महिलाओं के निरंतर जागरुकता से प्रशासन सख्त रवैया अपना रही है। पूरे देश में खुले में शौच से मुक्ति के लिए चल रहे अभियान में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। बिहार सरकार न्याय के साथ विकास के सिद्धांत का अनुसरण कर रही है। जिसमें राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक न्याय प्रमुख अवयव हैं। समाज के सभी वर्गों और क्षेत्रों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने के तहत महिलाओं को भी समान अवसर दिए जा रहे हैं। महिलाएं कई सामाजिक कुरीतियों जैसे बाल विवाह एवं दहेज प्रथा की शिकार होती हैं और इसका उनके शारीरिक तथा मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 02 अक्टूबर, 2017 को राज्य सरकार ने बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान की शुरुआत की। 21 जनवरी, 2018 को पूरे राज्य में बाल विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन अभियान के पक्ष में 13 हजार किमी लंबी मानव श्रृंखला बनायी गई, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हुए।
आर्थिक मदद से बढ़ रही हैं बेटिया
नीतीश कुमार बेटियों के उत्थान को लेकर काफी संवेदनशील हैं, उन्होंने बेटियों के विकास के लिए अनेक कदम उठाए जिसमें कन्या विवाह योजना उन परिवारों के लिए है, जो गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) आते हैं। ऐसे परिवार की बेटी की शादी में सरकार की तरफ से आर्थिक मदद दी जा रही है। कन्या विवाह योजना को वर्ष2012 में लोक सेवा के अधिकार अधिनियम में भी शामिल कर लिया गया था। महिलाओं को किसी प्रकार की कठिनाई न हो इसके लिए वर्ष 2011 में राज्य के सभी 40 पुलिस जिलों में महिला पुलिस थाना खोला गया। साथ ही महिलाओं के लिए 700 थानों में शौचालय व स्नानागार का निर्माण भी कराया जा रहा है।मुस्लिम परित्यक्ता सहायता योजना के अंतर्गत राज्य के मुस्लिम परित्यक्ता महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2007 से प्रत्येक मुस्लिम परित्यक्ता महिला लाभार्थी को सहायता प्रदान करने का प्रावधान है।