बिहार में शिक्षकों की बहाली के बाद अब उन्हें आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। जिसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके लिए नीति बनाई जा रही है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इसपर अमल होगा। हालांकि, इसको लेकर शिक्षा संबंधित मकान मालिकों और रियल एस्टेट कंपनियों से सुझाव मांगे थे। जिसको लेकर एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में कई लोगों ने अपना आवास किराये पर देने के लिए सहमति दी है। इसको लेकर प्रमंडलवार गोष्ठी विभागीय पदाधिकारियों ने संबंधित मकान मालिकों के साथ की। हर प्रमंडल से पांच से दस लोग गोष्ठी में पहुंचे थे। लोगों द्वारा दिए गए सुझावों पर भी विभाग एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इस रिपोर्ट का अध्यन कर आवास के लिए नीति बनाई जाएगी।
इस दौरान ज्यादातर लोगों ने मकान के बदले मिलने वाली किराए की राशि के बारे में पूछा गया। लोगों ने यह भी कहा कि खासकर शहरी इलाकों में शिक्षकों को जो मकान किराया भत्ता मिलता है, उतने किराये पर आवास देना मुश्किल होगा। भत्ता के अतिरिक्त भी राशि मकान मालिकों को मिलनी चाहिए। इन सभी बातों की चर्चा नीति में रहेगी। जिला शिक्षा पदाधिकारी के स्तर से मकान मालिकों अथवा कंपनियों से करार होगा और शिक्षकों को आवास की सुविधा दी जाएगी। पहले से बने मकानों के मालिक और बहुमंजिली इमारतों के मालिकों से प्रस्ताव मांगा गया है। यह पूछा गया है कि वे कितने मकान किस जिले के किस प्रखंड और ग्राम पंचायत में उपलब्ध करा सकते हैं। शिक्षा विभाग उन्हें किराये या लीज पर तुरंत ले सकता है। शिक्षा विभाग ने कहा है कि हर साल शिक्षकों के वेतन पर 33 हजार करोड़ खर्च होते हैं। औसतन आठ प्रतिशत मकान किराया भत्ता हर शिक्षक को दिया जाता है। आठ प्रतिशत की यह राशि लगभग 2500 करोड़ होती है। विभाग इस राशि से मकान/भवन पर्याप्त संख्या में लीज और किराए पर लेगा। ताकि, शिक्षकों को उनके स्कूल के समीप बेहतर आवास की व्यवस्था दिलायी जा सके।