बिहार में सीवान के पूर्व सांसद और राजद के प्रभावी नेता रहे शहाबुद्दीन अब इस दुनिया में नहीं हैं। शहाबुद्दीन की जेल में रहने के दौरान ही मृत्यु हो चुकी है। लेकिन शहाबुद्दीन का एक बयान ऐसा था, जो आज भी लोगों के दिमाग में ताजा ही है। दरअसल, आज उस बयान की बात इसलिए क्योंकि वह बयान शहाबुद्दीन ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार के लिए दिया था। एक बार फिर बिल्कुल वही बयान तो नहीं लेकिन उससे मिलता जुलता बयान सीएम नीतीश कुमार के लिए एक राजद नेता ने दिया है। हालांकि शहाबुद्दीन अपने बयान पर टिके रहे थे, लेकिन अभी जिस राजद नेता ने नीतीश कुमार के लिए जो बयान दिया है, उससे वे तुरंत कवर करने में जुट गए।
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पहले हम आपको बताते हैं मो. शहाबु्द्दीन के मशहूर बयान के बारे में। बात 2016 की है। 10 सितंबर 2016 को जमानत पर भागलपुर जेल से रिहा हुए शहाबुद्दीन सड़क मार्ग से सीवान के लिए निकले। लगभग एक दशक बाद सलाखों के पीछे से बाहर निकले शहाबुद्दीन के समर्थकों का काफिला दर्जनों गाड़ियों में उनके साथ चल रहा था। मीडिया का हुजूम भी था। रास्ते में रुकते हुए शहाबुद्दीन मीडिया से बात भी करते रहे। इसी दौरान एक सवाल के जवाब में शहाबुद्दीन ने सिर्फ लालू यादव को अपना नेता बताया। महागठबंधन की सरकार चल रही थी और सीएम नीतीश कुमार थे। लेकिन शहाबुद्दीन ने नीतीश कुमार से बेरुखी दिखाते हुए उन्हें परिस्थितियों का मुख्यमंत्री बताया। यह बात आई-गई नहीं हुई बल्कि इस बात पर जदयू नेताओं ने खूब खीझ निकाली।
अब कुछ ऐसा ही बयान राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने सीएम नीतीश कुमार के लिए दिया है। दरअसल, सोमवार, 15 जनवरी को लालू-राबड़ी आवास पर चूड़ा-दही भोज के बाद भाई वीरेंद्र मीडिया से बात कर रहे थे। इसी दौरान भाई वीरेंद्र ने कहा कि 79 विधायकों की पार्टी के नेता लालू यादव के आशीर्वाद से नीतीश कुमार सीएम हैं। मीडिया ने दुबारा पूछा तो अपने बयान को कवर करते हुए भाई वीरेंद्र कहने लगे कि “79 विधायक हमारे हैं और नीतीश सीएम हैं। लालू जी का आशीर्वाद है तब न वह सीएम हैं।”
जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेता ऐसे बयान पसंद नहीं करते हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण नीतीश कुमार और भाजपा का दुराव है। दरअसल, 2020 के चुनाव के बाद जब नीतीश कुमार की पार्टी विधायकों की संख्या के मामले में तीसरे नंबर पर खिसक गई लेकिन सीएम नीतीश ही बने। तो कई भाजपा नेताओं ने यह कहना शुरू किया कि भाजपा की मेहरबानी से नीतीश कुमार सीएम बने हैं। बाद में भाजपा से रिश्ता टूटने में ऐसे बयानों को ही जदयू ने आधार बनाया।