नीतीश कुमार और उनका जनता दल यूनाइटेड अभी एनडीए का हिस्सा हैं। केंद्र सरकार के साथ बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार चला रहे नीतीश कुमार अब झारखंड में भी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन पिछले 10 सालों में नीतीश कुमार राजनीतिक प्रयोगों में महारत हासिल कर चुके हैं। साथी और गठबंधन छोड़कर भी सरकार में बने रहना नीतीश कुमार की खासियत है। 2013 में भाजपा को बिहार की सरकार से बाहर निकाल कर नीतीश कुमार सीएम बने रहे। तो 2017 में राजद से खुद अलग होकर सरकार के मुखिया बने रहे। 2022 में फिर भाजपा को अलग कर नीतीश कुमार ने अपने सीएम की कुर्सी कायम रखी। तो 2024 में वापस भाजपा के साथ आकर सीएम बने रहे। अब आगे चार राज्यों में विधानसभा चुनाव है। इस चुनाव में भी नीतीश कुमार एक प्रयोग कर रहे हैं। नीतीश कुमार का यह प्रयोग AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और बसपा प्रमुख मायावती की राजनीति से मेल खा रहा है। हालांकि नीतीश कुमार ने ओवैसी और मायावती स्टाइल की पॉलिटिक्स में नीतीश कुमार अपनी मौलिकता भी बचा ले रहे हैं।
दरअसल, ओवैसी और मायावती अभी ऐसे दलों में शामिल हैं, जिन्हें न एनडीए में जगह मिल रही है और न ही विपक्षी गठबंधन में। दोनों ही दल अलग अलग चुनाव लड़ते हैं। लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी न सिर्फ यूपी लड़ी बल्कि बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ी। उसी तरह AIMIM ने न सिर्फ तेलंगाना में चुनाव लड़ा बल्कि बिहार और दूसरे राज्यों में भी अकेले ही चुनाव लड़ा। जदयू ने भी इसी स्ट्रेटजी पर काम शुरू किया है। जदयू नेताओं का कहना है कि अपनी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने के लिए वे अलग अलग राज्यों में चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन कहीं भाजपा के साथ तो कहीं भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला अटपटा लग रहा है।
अभी देश के चार राज्यों में चुनाव होने है। इसमें जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड शामिल है। जदयू ने इन चार में से दो राज्यों में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। इसमें झारखंड में तो जदयू एनडीए में शामिल होकर चुनाव लड़ेगा। लेकिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए जदयू ने अलग चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। पार्टी यहां छह सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है। वैसे सोपोर से इरफान शाह और क्रेरी से रेहाना बेगम उम्मीदवार बनाई भी जा चुकी हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा के खिलाफ लड़ने के बाद झारखंड में भाजपा के साथ लड़ने के लिए नीतीश कुमार और जदयू का क्या स्टैंड होता है।