बिहार में जातिगत गणना के बाद नीतीश सरकार ने आरक्षण का दायरा 15 प्रतिशत और बढ़ाने का फैसला किया है। इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लोगों को पहले ये समझना होगा कि ये जनगणना नहीं, सर्वे है, जिसका कोई वैधानिक आधार नहीं है। आरक्षण की जो व्यवस्था बनी हुई है, वो सुप्रीम कोर्ट ने तय की है। यह बिहार विधानसभा से बाहर का मामला है। बिहार सरकार अगर इसमें कुछ संशोधन करना चाहती है और देश के कानून के अंतर्गत उसे किया जा सकता है तो उन्हें करना चाहिए। मैं बार-बार कह भी रहा हूं कि जिसकी जो संख्या है और अगर कोई समाज पीछे है तो उसको उसकी भागीदारी मिलनी चाहिए। लेकिन उनकी भागीदारी के नाम पर अपना घर भरा जा रहा है। इसके अलावा खुद लूटकर और अपने बच्चों को जो बैठाए हुए हैं, वो सही नहीं है। पिछले 32 सालों से नीतीश और लालू को छोड़कर बिहार में राज कौन कर रहा है?
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि नीतीश और लालू यादव अगर बिहार में राज कर रहे हैं तो हकमारी तमिलनाडु का कोई नेता तो किया नहीं है। अगर समाज की हक मारी हुई है जो कि दिख भी रहा है तो ये हक मारने वाले लोग कौन है? जातिगत सर्वे जो आए इसे देखकर तो इन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए था। 32 सालों से ये कह रहे हैं कि पिछड़े समाज का भला करने के लिए खड़ा है, दूसरी तरफ इसी पिछड़े समाज को वंचित रख आप कुर्सी में बैठे हैं, दोषी आप है तो आप इस्तीफा दीजिए।