Bihar Latest News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दिल्ली में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाकात हुई है। मुलाकात भले ही दिल्ली में हुई हो, राजनीतिक पारा पटना का बढ़ा हुआ है। पर्दे के पीछे क्या खेल चल रहा है, इस पर चर्चा तेज हो गई है। कहीं नीतीश कुमार कोई बड़ा राजनीतिक गेम करने की कोशिश में तो नहीं हैं? यह सवाल राजनीतिक गलियारे में खूब गूंजने लगा है।
सियासत की गरमी दिल्ली से पटना तक
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण से पहले बिहार की सियासत की गरमी दिल्ली से पटना तक को गरमाए हुए है। मौसम में चटख धूप ने ठंड की विदाई करा दी है, तो राजनीति जमीन पर जमी बर्फ भी पिघलने लगी है। एक मुलाकात का मसला है। यह मुलाकात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच हुई है। वह भी दिल्ली में। इस मुलाकात से कई सवाल राजनीतिक जमीन पर सवालों के पौधों को जन्म देना शुरू कर दिया है। माहौल चुनावी है तो मुलाकातों का राजनीतिक अर्थ भी निकाला जाना तय है।
प्रशांत किशोर से मुलाकात
बहरहाल, नीतीश कुमार ने मुलाकात से इनकार नहीं किया है। उन्होंने माना है कि प्रशांत किशोर से मुलाकात हुई है। बातें हुई हैं। इन मुलाकातों और बातों का कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। दरअसल, मुलाकातों की खबरों के मीडिया में लीक होने के बाद नीतीश जब पत्रकारों के सामने आए तो अपने ही अंदाज में जवाब दिया- बेचारा प्रशांत किशोर से कोई आज का रिश्ता थोड़े ही है। इस मुलाकात का कोई मतलब नहीं निकालने लगिएगा आप लोग। नीतीश कुमार ने जब भी इस अंदाज में जवाब दिया है, वे कोई न कोई राजनीतिक खेल करते दिखे हैं।
UP चुनाव के परिणाम कहीं बदल न दे स्थिति
यूपी विधानसभा चुनाव का रविवार को तीसरे चरण का मतदान होना है। जदयू ने उत्तर प्रदेश में भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वह भी भाजपा से अलग हटकर। ऐसे में गठबंधन अब केवल बिहार और केंद्र तक सीमित दिखता है। उत्तर प्रदेश और मणिपुर के चुनावी मैदान में जदयू की चुनावी लड़ाई का नेक्स्ट लेबल कहीं नीतीश सोचकर तो नहीं बैठे हैं, यह भी सवाल उठ रहा है। हालांकि, नीतीश कुमार के NDA से बाहर निकलने के आसार कम हैं। इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली की सियासत में जदयू का केंद्र बिंदु बने आरसीपी सिंह हैं। वहीं, जदयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश की भाजपा से निकटता भी आम हो चुकी है।
सियासी गलियारे में नई चर्चा
प्रशांत किशोर से नीतीश की मुलाकात को लेकर अब सियासी गलियारे में नई चर्चाएं हो शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव के बाद प्रशांत किशोर किसी नए राजनीतिक समीकरण को गढ़ सकते हैं। इसमें नीतीश कुमार की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है। लेकिन, यह सब कुछ यूपी चुनाव के नतीजों पर निर्भर करता है कि पीके एक बार फिर नीतीश कुमार से मिल कर क्या गुल खिलाएंगे और इस मुलाकात का दूरगामी नतीजा क्या होगा?
पुराने रिश्तों की दे रहे दुहाई
नीतीश कुमार अपनी प्रशांत किशोर से पुराने रिश्तों की दुहाई देते दिखे हैं। दरअसल, ये रिश्ता बना था, वर्ष 2015 में। BJP से अलग होकर और RJD के साथ महागठबंधन बनाकर नीतीश कुमार बिहार के चुनावी अखाड़े में उतरे थे। तब मोदी लहर में महागठबंधन की चुनावी नैया को जीत के किनारे तक पहुंचाने में प्रशांत किशोर ‘मांझी’ की भूमिका में थे। हालांकि, बाद के समय में नीतीश कुमार के खिलाफ प्रशांत किशोर के बयान सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। इसके बाद भी नीतीश ने कहा कि हमारा रिश्ता कोई आज का थोड़े है।
TMC से झटके का असर तो नहीं
प्रशांत किशोर ने वर्ष 2018 में विधिवत राजनीतिक पारी की शुरुआत जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर की थी। तब नीतीश और प्रशांत किशोर ने एक-दूसरे की शान में खूब कसीदे गढ़े थे। लेकिन, दिल्ली चुनाव में जब JDU ने उम्मीदवार उतारे तो प्रशांत किशोर भड़क गए। इसके बाद नीतीश और RCP Singh ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बयान दिया था कि अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को पार्टी में लिया गया है और उन्हें पार्टी से बाहर जाना चाहे तो जा सकते हैं।
प्रशांत किशोर को आशियाने की तलाश
इसके बाद प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को झूठा बोल दिया, जिसके बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत कुमार से किनारा कर लिया। पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद से तृणमूल कांग्रेस में प्रशांत किशोर को लेकर जमकर विरोध हो रहा है। ऐसे में Mamta Banerjee भी उनसे किनारा करती नजर आ रही हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर एक फिर नए आशियाने की तलाश में हैं। नीतीश से मुलाकात को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है।