बिहार नगर निकाय चुनाव को लेकर सियासत खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। आज यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। जिसके बाद से एक बार फिर सियासी वार पलटवार तेज हो गया है। दरअसल सरकार द्वारा गठित अतिपिछड़ा आयोग के खिलाफ एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अतिपिछड़ा आयोग पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 4 सप्ताह का समय भी दिया है। मतलब ये कि अभी निकाय चुनाव में और देरी होगी। इसे फैसले के बाद विपक्ष में बैठी बीजेपी एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बकायदा प्रेस कांफ्रेस कर नीतीश कुमार को घेरा।
अतिपिछड़ों को नीतीश ने दिया धोखा
सुशील मोदी ने कहा कि बिहार सरकार की मंशा ही नहीं है कि नगर निकाय चुनाव हो। सुप्रीम कोर्ट में जो बात आई है इसके अनुसार पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडीकेटेड कमीशन के रूप में अधिसूचित न करने की बात कही है। ऐसे में स्थानीय निकाय चुनाव पर एक बार फिर से संशय बरक़रार है। कोर्ट ने राजनैतिक पिछड़ेपन की पहचान को लेकर अलग से आयोग बनाने की बात कही थी लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी बात नहीं मानी। बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना पिटीशन वापस लेकर आयोग का गठन किया।
आनन-फानन नीतीश कुमार ने अतिपिछड़ा आयोग गठन करके आरजेडी और जेडीयू के 5 लोगों को सदस्य बना दिया। कोर्ट का कहना है कि आयोग स्वतंत्र नहीं है और यह डेडिकेटेड नहीं है ऐसे में निष्पक्ष रिपोर्ट नहीं हो पाएगी। इसलिए कोर्ट ने ऐसी कमेटी को अधिसूचित करने पर रोक लगाई है। उन्होंने आरोप लगते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने अतिपिछ्दाओं को धोखा देने का काम किया है।