आरसीपी सिंह की केंद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी हो चुकी है। जदयू के कोटे से मंत्री बने थे। राज्यसभा में कार्यकाल पूरा होने तक वे रहे। उनका विभाग ज्योतिरादित्य सिंधिया को सुपुर्द कर दिया गया है। कार्यभार देकर आरसीपी सिंह वापस बिहार लौट आए हैं। इस्तीफा देने के पहले से ही एक सवाल है कि आगे क्या होगा। लेकिन इस पर अभी तक कुछ भी तय नहीं है।
‘नीतीश से नहीं है आस’
राज्यसभा के लिए जदयू ने आरसीपी को दुबारा नहीं भेजा। कहा गया कि यह पार्टी नेतृत्व का फैसला है। हालांकि जदयू में कोई फैसला नीतीश कुमार की जानकारी के बिना हो, यह पचा पाना मुश्किल लगता है। खैर, ये कहानी पुरानी हो चुकी है। अब बात आरसीपी सिंह के नए रोल को लेकर है। वैसे आरसीपी सिंह को अब नीतीश कुमार से काई आस बची नहीं है। नीतीश के करीबी होने की बात भर से आरसीपी चिढ़ जाते हैं।
फैसले का अधिकार तय
आरसीपी सिंह जदयू में बने रहेंगे या कुछ और करेंगे, यह अभी तय नहीं है। कम से कम आरसीपी ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी है। हालांकि जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा जरुर कह रहे हैं कि आरसीपी सिंह पर पार्टी फैसला लेगी। यानि आरसीपी को क्या मिलेगा यह पार्टी तय करेगी। इससे पहले जदयू के वरिष्ठ नेता व मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि आरसीपी सिंह पार्टी के सदस्य के रूप में रहेंगे। उनकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह तय करेंगे। संगठन के लिए काम करें आरसीपी सिंह, स्वागत है।