इन दिनों बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भविष्यवाणी की खुब चर्चा हो रही है। वो भविष्वाणी लोकसभा चुनाव समय से पहले कराए जाने की है। विपक्ष उनपे तंज भी कस रहा कि नीतीश कुमार अपने आप को भविष्यवक्ता समझ रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच गौर करें तो नीतीश कुमार की एक भविष्वाणी या पूर्वानुमान सही निकला है और वो जीतन राम मांझी की पार्टी को लेकर है। नीतीश कुमार ने कुछ समय पहले ही जीतन राम मांझी को लेकर खुले मंच से आशंका जताई थी कि वो भाजपा के नजदीक जा रहे। आखिरकार अब मांझी की पार्टी हम का महागठबंधन से मोहभंग हो चुका है। जिसके बाद पहली बार नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने जीतन राम मांझी को भाजपा का जासूस तक बता दिया है।
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मांझी पर बरसे नीतीश
दरअसल, जीतन राम मांझी ने जदयू में विलय का दबाव बनाए जाने का आरोप लगाया और अपनी पार्टी की राह महागठबंधन से अलग कर ली है। जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह पर आज नये मंत्री रत्नेश सदा ने शपथ भी ले ली है। उनकी शपथ ग्रहण समारोह से निकलते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जीतन राम मांझी पर बरस पड़े। उन्होंने कहा कि मांझी जब दिल्ली जाकर वापस लौटे थे तो मुझसे कहे थे कि हम आपके साथ रहेंगे। एक बात सबको पता है वो जहां कहीं भी रहे लेकिन भाजपा के के लोगों से मिलते रहे।
“मांझी के अलग होने से नहीं पड़ता फर्क”
नीतीश कुमार ने कहा कि जीतन राम मांझी दिल्ली से मिलकर आने के बाद वो मुझसे मिले और कहा कि हमें कुछ अलग चाहिए। मैंने भी कह दिया कि आपको पता है कि हमने इतना ज्यादा बनाया है इसलिए अब या तो आप अपनी पार्टी को मर्ज कीजिए नहीं तो अलग होना है तो अलग हो जाइए। उन्होंने मर्ज नहीं किया और अलग हो गए। उनके जाने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमलोग 23 तारीख को मीटिंग करेंगे और अगर यह लोग उस मीटिंग में अंदर होते तो जो कुछ भी वहां तय होता ये भाजपा वाला को बता देते, इसीलिए हमने उनसे कहा कि या तो आप मर्ज करिए या अलग हो जाइए।