शायर मिर्जा ग़ालिब का एक शेर हैं ‘हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफ़ा क्या है’ ये शेर आजकल बिहार के कुछ नेताओं के बयान से बिलकुल मेल खाता हुआ दिख रहा है। राजनीतिक बेवफाई के शिकार हुए नेताओं का दर्द उनके बयानों में छलक कर आ जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है अभी भी वफ़ा की आस लगाए हुए हैं। खास कर बिहार से दर्द-ए-राजनीति की एक के बाद एक कहानी सामने आ रही है। बिहार के दो नेताओं की स्थिति ऐसी ही बनी हुई है। पहले जेडीयू के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा है। वहीं दूसरे पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के सांसद राजीव प्रताप रूडी हैं।
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मंच पर छलका रूडी का दर्द
दरअसल राजीव प्रताप रूडी ने पार्टी नेतृत्व पर आरोप लगते हुए कहा है कि उन्हें पार्टी ने दरकिनार किया। बिहार के दरंभगा में आयोजित ‘दृष्टि बिहार एजेंडा 2025’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने इसका जिक्र तक किया। उन्होंने बताया कि 28 और 29 जनवरी को बीजेपी कार्यसमिति की बैठक हुई थी। जिसमें शामिल होने के लिए वो भी पहुंचे थे। लेकिन, वहां मौजूद नेताओं ने उन्हें मंच पर जगह नहीं दी। वह दर्शक की लाईन में बैठकर सभी नेताओं का भाषण सुनते रहे। जब सभी नेताओं ने अपना भाषण दे दिया तो वह वापस घर चले गए।
उन्होंने आगे कहा कि ‘उस मंच पर मुझे नहीं बुलाया गया था। इस बात से कोई तकलीफ नहीं है। तकलीफ होनी भी नहीं चाहिए क्योंकि हमारा और आपका महत्व कहां रह गया है. कोई क्यों अब आपको बुलाएगा। आप तो ऐसी ही अवेलेबल हैं न। आपका नोटिस कौन ले रहा है, आप तो एवेलेबल हैं।’ बता दें कि राजीव प्रताप रूडी बिहार के सारण से सांसद है। वो केंद्र सरकार में कौशल विकास राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। वर्तमान में रूडी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।
उपेंद्र कुशवाहा का भी दर्द रूडी जैसा
राजीव प्रताप रूडी जैसा ही हाल उपेंद्र कुशवाहा का भी है। उपेंद्र कुशवाहा अपनी अनदेखी को लेकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वो अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं पर उन्हें नजरअंदाज करने का आरोप लगा रहे हैं। साथ ही जेडीयू में मिले पद को झुनझुना और लॉलीपॉप तक बता दिया है। उनका कहना है कि जेडीयू में उनकी बातों को महत्त्व नहीं दिया जाता है। इतना सब बोलने के बाद भी वो अभी भी जेडीयू छोड़ने के मूड में नहीं है।
वहीं जेडीयू में अपने हिस्से की मांग को लेकर भी अड़े हुए हैं। वो कभी तल्ख अंदाज में नजर आ रहे हैं तो कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना भाई तक बता रहे हैं। मिला जुलाकर उपेंद्र कुशवाहा को अभी भी इस बात की आस लगी हुई है कि जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व उनसे बात करेगा। लेकिन उनकी ये आस फिजूल ही नजर आ रही है। जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व उनकी बातों का नोटिस लेता नहीं दिख रहा है।