लोकसभा चुनाव के दौरान पप्पू यादव के साथ लालू यादव और तेजस्वी यादव ने खेला कर दिया था। लालू-तेजस्वी पप्पू यादव को मधेपुरा में राजद के टिकट पर लाना चाहते थे। लेकिन पप्पू यादव कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया के लिए अड़ गए। कांग्रेस ने लालू-तेजस्वी से बैर लेना उचित नहीं समझा और पप्पू यादव को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरना पड़ा। टिकट के बंटवारे में लालू-तेजस्वी ने पप्पू यादव को पटखनी दी लेकिन चुनाव के नतीजों में पप्पू यादव बाजी मार गए। लेकिन चुनाव के बाद भी पप्पू यादव की आस्था कांग्रेस में बनी रही। अब पूर्णिया की रुपौली सीट पर हो रहे उपचुनाव में पप्पू यादव ने खेला कर दिया है।
दरअसल, निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में जीते पप्पू यादव ने धोखे के बाद भी कांग्रेस में आस्था बनाए रखने का ऐलान किया। इस बीच रुपौली विधानसभा में उपचुनाव की घोषणा हुई तो कांग्रेस ने उस बीमा भारती के समर्थन में पप्पू यादव को मना लिया, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था। पप्पू यादव ने कह भी दिया कि वे बीमा भारती के साथ हैं। लेकिन अब चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि बीमा भारती का साथ पप्पू यादव ने उपचुनाव में नहीं दिया है।
दरअसल, इसका कारण यह है कि एक बार फिर बीमा भारती राजद उम्मीदवार के रूप में तीसरे नंबर पर ही रहीं। लोकसभा चुनाव में निर्दलीय जीते पप्पू यादव को टक्कर जदयू के संतोष कुशवाहा ने दी, जो दो नंबर पर रहे। जबकि अब रुपौली के उपचुनाव में भी निर्दलीय शंकर सिंह जीते हैं और बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं।
बीमा भारती की हार भी ऐसी वैसी नहीं है बल्कि चुनाव के नतीजे साफ बता रहे हैं कि वे लड़ाई में भी नहीं हैं। जबकि पप्पू का साथ मिलता तो बीमा भारती की स्थिति अलग हो सकती थी। दरअसल, लोकसभा चुनाव में रुपौली विधानसभा के मतों को देखें तो यहां से लीड जदयू को मिली थी। जदयू उम्मीदवार को इस क्षेत्र से 97,469 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर रहे पप्पू यादव को 72,795 वोट रुपौली में मिले थे। वहीं रुपौली से ही विधायक रहीं बीमा भारती को सिर्फ 10,968 वोट मिले। अगर पप्पू यादव का समर्थन रहता तो बीमा भारती को मिले वोटों की संख्या 80 हजार से उपर होनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।