पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) को एक बाद एक बड़ा झटका मिल रहा है। उनकी पार्टी रालोजपा को बिहार भवन निर्माण विभाग ने बड़ा झटका दिया है। विभाग ने पटना के हवाई अड्डा रोड स्थित लोजपा कार्यालय का आवंटन रद्द कर दिया है। बताया जा रहा है कि पार्टी द्वारा टैक्स का भुगतान नहीं किए जाने के बाद आवंटन को रद्द किया गया है। इस संबंध में विभाग द्वारा अधिकारिक रूप से अधिसूचना जारी कर दिया है। जिसके बाद अब रालोजपा को पार्टी के कामकाज के संचालन के लिए नए कार्यालय की खोज करनी होगी।
क्या है प्रावधान?
आदेश में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को पार्टी कार्यालय के लिए सरकारी भवन आवंटित करने के लिए प्रावधान किया गया है। विभागीय संकल्प के कंडिका दो में स्पष्ट है कि पार्टी कार्यालय के लिए आवासीय भवन का आवंटन 2 वर्षों के लिए किया जाएगा। 2 वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद आवंटन रिन्यू कराना होगा। लेकिन लोजपा को 2019 के बाद से रिन्यू नहीं कराया गया। जिसके बाद पांच साल से यह कार्यालय ऐसे ही संचालित किया जा रहा है।
सरकारी आवास का रिन्यू इस शर्त पर होगा कि समय पर पार्टी द्वारा सभी करों का भुगतान कर दिया गया हो। आवंटन नवनीकृत नहीं किए जाने की स्थिति में इसे रद्द माना जाएगा। तत्काल आवास को खाली करने के लिए बिहार सरकारी परिसर किराया वसूली एवं बेदखली अधिनियम 1956 के तहत कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में भवन निर्माण विभाग ने अब लोजपा के आवंटन को रद्द कर दिया है। रालोजपा को इस जगह को खाली करने के निर्देश दिए हैं।
भवन निर्माण विभाग ने यह आदेश ऐसे समय पर दिया है। जब गुरुवार को ही लोजपा के टूटने के तीन साल पूरे हुए हैं और इसके बाद दिल्ली में चिराग पासवान ने अपने पांचों सांसदों के साथ अपनी नई पार्टी लोजपा आर के कामयाबी का जश्न मनाया है। माना जा रहा है अब लोजपा का यह पुराना कार्यालय अधिकारिक रूप से चिराग की नई पार्टी के नाम पर आंवटित हो सकती है।
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बता दें कि लगभग 18 साल पहले रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को कार्यालय उपयोग के लिए आवास संख्या 01, व्हीलर रोड, पटना आवंटित किया गया था। तब से रामविलास पासवान के निधन के बाद भी पार्टी का संचालन यहीं से होता था। तीन साल पहले जब लोजपा में दो फाड़ हुआ और पशुपति पारस ने पांच सांसदों के साथ अलग पार्टी रालोजपा बनाया तो लोजपा के कार्यालय को ही पटना में हेड ऑफिस बनाया। हालांकि कार्यालय का आंवटन तब भी लोक जनशक्ति पार्टी के नाम पर ही रही।