बिहार की राजनीति में बगावत की नई किताब लिख रहे हैं। बगावत वाली किताब की प्रस्तावना उपेंद्र कुशवाहा ने दो प्रेस कांफ्रेंस में लिख दी। तो अब किताब का पहला अध्याय 19 फरवरी को लिखा जाना है। इसके लिए उपेंद्र कुशवाहा ने राज्य भर से जदयू कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। बैठक दो दिनों की है। दूसरी ओर जदयू नेतृत्व को इस बैठक से ऐतराज है। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा को जदयू के ऐतराज से फर्क नहीं पड़ रहा है।
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राजद से दोस्ती अब उपेंद्र को मंजूर नहीं
उपेंद्र कुशवाहा साफ कर चुके हैं कि जदयू कमजोर हो रही है। साथ ही उनके तेवरों ने यह भी बता दिया है कि राजद से जदयू की दोस्ती पसंद नहीं है। इसके कारण जो भी हों, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा यही कह रहे हैं कि JDU की कमजोर होती स्थिति पर नीतीश कुमार के सामने और पार्टी की बैठकों में भी ये बात रखी है। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद नीतीश कुमार इन बातों की अनदेखी कर रहे हैं।
जदयू ने दी है चेतावनी
वैसे तो जदयू ने उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी से लगभग बाहर कर ही दिया है। क्योंकि पार्टी का हर नेता उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा का एजेंट बता चुका है। इसके बावजूद तकनीकी रूप से उपेंद्र कुशवाहा अभी भी जदयू में हैं। उन्होंने बैठक भी जदयू कार्यकर्ताओं की बुलाई है। इसको लेकर जदयू नेतृत्व ने चेतावनी दी है कि जो भी नेता-कार्यकर्ता इसमें हिस्सा लेंगे, वे पार्टी से बाहर हो जाएंगे।
अब बाहर कर दिए जाएंगे उपेंद्र!
जदयू में बगावत का बिगुल फूंके उपेंद्र कुशवाहा को लंबा वक्त बीत चुका है। इस बीच वे साफ कर चुके हैं कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे। जाना भी होगा तो हिस्सा लेकर जाएंगे। हिस्सा किस रूप में लेंगे या दिया जाएगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन संभावना यही है कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी ही बुलाई बैठक के बाद जदयू से बाहर कर दिए जाएंगे। चूंकि पार्टी ने इस बैठक के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया है कि ऐसी किसी बैठक में शामिल होने वाले नेता-कार्यकर्ता बाहर होंगे। बतौर आयोजक उपेंद्र कुशवाहा तो बैठक में हिस्सा लेंगे ही। ऐसे में उनका बाहर होना तय बताया जा रहा है।